Ajay Rai expressed grief over the train accident in Darjeeling area and said that ministers have no right to be in power if they do not understand constitutional and moral values

अजय राय ने दार्जिलिंग इलाके मे हुए ट्रेन हादसे पर दुःख ब्यक्त किया और कहा मंत्री अगर संवैधानिक और नैतिक मूल्यों को नही समझते है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई हक नही है


अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।


वाराणसी। अजय राय ने घटना पर गहरा दुःख और अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि इस दुःखद रेल हादसे में शामिल सभी शोकाकुल परिजनों को मैं अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्र से शीघ्र स्वस्थ होने की मंगलकामना करता हूं। राय ने कहा कि आखिर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति क्यों हो रही है ? विगत दस वर्षों में रेल दुर्घटनाओं में बृद्धि सीधे सीधे मोदी सरकार के कुप्रबंधन और उपेक्षा का नतीजा है, जिसका खामियाजा हमारे निरीह जनता को झेलना पड़ रहा है । अभी कुछ महीनों पहले ओडिशा में भी एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ था, आखिर उससे हमने और हमारे पूरे सिस्टम ने क्या सीखा? अगर सीखा होता तो शायद ऐसी त्रासद पूर्ण घटनाओ की पुनरावृत्ति नही हुई होती । निश्चित रूप से इसके लिए मैं वर्तमान सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी और उनके सिपहसालार मंत्रियों यानी अश्वनी वैष्णव को इस पूरे घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार मानता हूं और मैं समूचे इंडिया गठबंधन की तरफ से यह मांग करता हूं कि वे नैतिकता के आधार पर अपनी सरकार की विफलता की जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल अपने पद से स्तीफा दें ।

मुझे दुःख और हैरत इस बात की हो रही है कि आखिर देश में हो क्या रहा है ? हर तरफ घोर अराजकता और अकर्मण्यता फैली हुई है। देश में सरकार नाम की कोई चीज रह ही नहीं गई है। अभी नीट परीक्षा में हुई धांधली को लेकर पूरा देश उलझा हुआ था, कि तभी देश को एक और दुःखद झटका लगा ट्रेन हादसे का । लगता है जैसे हम हादसे में ही जीवन जीने को अभिशप्त हैं। इन हादसों का सबसे अधिक प्रभाव हमारे देश की जनता के मनोबल पर पड़ता है। राय ने पूछते हुए कहा कि आखिर हम सरकार क्यों चुनते हैं ? क्या हम सरकार का चयन सिर्फ हादसों के लिए करते हैं ? यह कितने शर्म और दुर्भाग्य की बात है कि मौजूदा समय में हमारे देश के राजनेताओं में इतनी शर्म नही बची कि वे खुद अपनी सरकार में हुए हादसों पर अपनी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्वयं स्तीफा दे सकें।

एक समय था जब हमारे देश में बड़े बड़े मंत्री और प्रधानमंत्री संदेह कि उंगली उठते ही नैतिकता के आधार पर अपना पद त्याग देते थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व लालबहादुर शास्त्री ने रेल मंत्री होते हुए एक ट्रेन दुर्घटना पर बतौर रेल मंत्री होते हुए, खुद ब खुद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद त्याग दिया था। एक उस दौर की रजनीति है और एक आज के दौर की रजनीति। दोनो में जमीन आसमान का फर्क है। आज सत्ता पोषित नेता और मंत्री अपनी जन सरोकारिता को सत्ता के मद और अहंकार में बिल्कुल भूल चुके हैं। नीट परीक्षा में खुलेआम धांधली हुई पर हमारे शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अभी भी अपने पद पर आबाद और नाबाद हैं, यह कैसी नैतिकता है ? इसी तरह आज पश्चिम बंगाल दार्जिलिंग इलाके के फांसीयाडीह इलाके के रंगापानी और निजामगढ़ के बीच जो दुखद ट्रैन हादसा हुआ है, जिसमे ट्रैक पर खड़ी कंचनजंघा ट्रेन को पीछे से मालगाड़ी ने धक्का मार दी, जिसमे हमारे देश के अनेकों निरीह नागरिकों की जाने गईं, कई घायल हुए हैं, इस रेल हादसे में कईयों की हालत नाजुक बनी हुई है ।

श्रद्धांजलि सभा में वाराणसी जिले के सभी सम्मानित पदाधिकारी जिनमे मुख्य रूप से जिला एवं महानगर अध्यक्ष जिनमे मुख्य रूप से राजेश्वर सिंह पटेल, राघवेंद्र चौबे,फसाहत हुसैन बाबू,शैलेंद्र सिंह, प्रिंस राय खगोलन, विश्वनाथ कुंवर, मयंक चौबे,डॉ नृपेंद्र नारायण सिंह,ऋषभ पांडेय, विनोद सिंह,राजेन्द्र गुप्ता, रोहित दूबे, राजीव गौतम,अरविन्द कुमार,आशिष केशरी,अब्दुल हमीद डोडे,विनीत चौबे, किशन यादव, मनोज यादव समेत बड़ी संख्या में कांग्रेस पार्टी के सम्मानित नेता एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।