कोविड-19 का दूसरा डोज जरूरी क्यों?
अनिवार्य प्रश्न। संवाद
हम सभी ने विगत दो लहरों में देखा है कि कोरोना बीमारी लईलाज है तथा इसके खतरे इतने ज्यादा हैं कि कुछ लोग काल कवलित हो जाते हैं तथा जो जीवित बच जाते हैं वे किसी न किसी प्रकार की कमी से ग्रसित रहते हैं। नागरिकों के टीका न लगवाने वाले कारणों के विश्लेषण उपरांत जो बातें समक्ष आई हैं। उन्हें समझाइश के माध्यम से यह बताना जरूरी है कि टीकों के माध्यम से हमने विभिन्न बीमारियों पर विजय प्राप्त की है जैसे- पोलियो, टिटनस, स्मॉल पॉक्स इत्यादि।
कोरोना महामारी से पीड़ित हेल्थकेयर वर्कर्स के समूह में किये गये शोध के अनुसार जिन नागरिकों को कोविड- 19 टीके का प्रथम डोज लग चुका था उनकी एंटीबॉडी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) लगभग 40-60 प्रतिशत एवं जिनको दोनों डोज लग चुके हैं उनकी एंटीबॉडी 93 प्रतिशत के साथ अधिक मजबूत होना पाई गई है। विश्लेषित आँकड़ों के अनुसार कोविड-19 के पूर्ण टीकाकरण अर्थात दोनों डोज के बाद नागरिकों में अस्पताल में भर्ती होने की दर में 95 प्रतिशत तथा संभावित मृत्यु दर में 98 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। यह आँकड़े ही बताते हैं कि जो लोग कोविड-19 टीके का प्रथम डोज प्राप्त कर द्वितीय डोज से वंचित रह गये हैं वे स्वयं जागरूक होकर आगे आयें एवं द्वितीय डोज अवश्य लगवायें। यह इसलिए भी जरूरी है कि पूर्ण टीकाकृत नागरिक ही कोरोना की संभावित तीसरी लहर से लड़ाई लड़ने में समक्ष रहेंगे। मात्र प्रथम डोज या जिन्होंने एक भी टीका नहीं लगवाया है। ऐसे नागरिकों को संक्रमण जल्दी पकड़ेगा और वह गंभीर भी हो सकेगा।
टीके पूर्णरूपेण सुरक्षित, प्रभावित एवं हानिरहित हैं अतः सभी नागरिक टीकों से नहीं बीमारी से डरें। समझदारी दिखायें और कोविड-19 टीके के दोनों डोज अवश्य लगवायें। वर्तमान में हमारे देश में शासकीय स्तर पर दो टीके दिये जा रहे हैं। पहला- कोवैक्सीन, जिसमें प्रथम डोज के बाद 28-42 दिन के अंतराल पर द्वितीय डोज तथा दूसरा- कोविशील्ड, जिसमें प्रथम डोज के बाद 84-112 दिन के अंतराल पर द्वितीय डोज दी जा सकती है।