‘पीपल लगाओ आंदोलन’ के नाम से चलेगा ‘उद्गार’ संगठन का अभियान
अनिवार्य प्रश्न। व्यूरो संवाद
हर महीने के अंतिम रविवार को चिन्हित जगहों पर एक साथ लगाए जाएंगे वृक्ष
जगह-जगह नियुक्त किए जाएंगे वालंटियर और पेड़ पालक
शीघ्र शुरु की जायेंगी साहित्यिक गोष्ठियां व सभायें
वाराणसी। ‘लव यू दुनिया’ नाम से चलने वाला ‘उद्गार’ साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संगठन का एक करोड़ पीपल लगाने वाला अभियान अब ‘पीपल लगाओ आंदोलन’ के नाम से संचालित होगा। उदगार साहित्यिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक संगठन की कार्यकारिणी की हुई विगत बैठक के बाद सर्वसम्मति से सदस्यों ने इसका निर्णय लिया है। संगठन के संस्थापक छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ के द्वारा एक करोड़ पीपल वृक्ष लगाने का संकल्प संस्था ‘लव यू दुनिया’ नाम से संचालित कर रही थी। लेकिन पत्रकारों, साहित्यकारों एवं आम जनमानस को बताने व समझाने में काफी दिक्कत आ रही थी। ‘लव यू दुनिया’ शब्द से यह ज्ञात नहीं हो पाता था की योजना किस प्रकार की है और किस लिए है।
हालांकि यह योजना दुनिया के प्रति अपने असीम प्रेम को प्रकट करने के लिए साहित्यकार छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ के द्वारा बनाई गई थी। लेकिन यह शब्द पीपल से जुड़े एक करोड़ रोपड़ के लक्ष्य भाव को प्रकट नहीं कर पा रहा था। इसलिए संस्था के कार्यकारी सदस्यों ने एक बैठक में अब इसे बदल कर ‘पीपल लगाओ आंदोलन’ के नाम से चलाने का फैसला किया है। इसके साथ ही अब प्रत्येक महीने के अंतिम रविवार को पीपल लगाने के अभियान के तहत पौधे लगाए जाएंगे। संस्था की योजना यह है कि हर महीने के अंतिम रविवार को ही चिन्हित अलग-अलग अनेक संभावित जगहों पर सैकड़ों व हजारों की संख्या में एक साथ वृक्ष लगाए जाएंगे। संस्था से जुड़े कार्यकारी के लोग एक जगह होंगे और बाकी जगह पर वालंटियर और पेड़ पालक नियुक्त किए जाएंगे। जिनका कार्य पौधरोपण के बाद पौधे की निगरानी, उसकी देखभाल व उसके विकसित होने तक उसका ख्याल रखना होगा। संगठन ने एक अन्य अनौपचारिक वक्तव्य कहा कोविड से बंद की गई साहित्यिक गोष्ठियां व सभायें शीघ्र शुरु की जायेंगी।
आम जनमानस से भी संस्था ने स्वयंसेवी बनने व पीपल वृक्ष लगाने की मांग की है। संस्था की ओर से प्रवक्ता हर्षवर्धन ममगाई ने मीडिया से प्रार्थना किया है कि दुनिया के भले के लिए श्री छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ द्वारा संकल्पित ‘पीपल लगाओ आन्न्दोलन’ को जन जन तक पहुंचाने में सकारात्मक भूमिका निभाए। अगर पत्रकारिता के सभी स्तम्भ ऐसे ही पूरे मन से साथ देते रहे तो जल्द ही यह आंदोलन सफल हो जाएगा। और एक करोड़ पीपल अपने शुद्व प्राण वायु व प्यार से संसार को भर देंगे।