क्यों भूल गया भारत भारतीय नव वर्ष

अनिवार्य प्रश्न । डेस्क हम अपनी महानतम संस्कृति को भूल कर आज पश्चिमी संस्कृति के नव वर्ष पर हर्ष मनाते हंै, क्या अपनी महान एवं सनातन संस्कृति से जुड़े नव … Read More

सोशल मीडिया हकीकत या फर्जी

सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मुद्दा ऐसा है जिसकी अब अनदेखी नहीं की जा सकती है। ऐसे में इसके खिलाफ कड़े कानून की सख्त जरूरत है। सोशल मीडिया पर शीघ्र … Read More

देश में अभिव्यक्ति की आजादी का मजाक बनाता हमारा समाज

अभिव्यक्ति की आजादी को भारतीयों द्वारा तहस-नहस किए जाने पर दुख जाहिर कर रहे हैं वरिष्ठ लेखक व शिक्षक डाॅ. अरविन्द सिंह क्या देश, धर्म, समाज के खिलाफ जहर उगलना … Read More

क्या होती है पादलगी या पलग्गी

भारतीय संस्कृति और परम्परा में चरणस्पर्श और उसकी वैज्ञानिकता भारतीय संस्कृित की कई सारी परम्पराएँ व रीतियाँ अनमोल हैं। जो इसकी सामाजिक व आध्यात्मिक सम्पदा की परिचायक हैं। इन्हीं में … Read More

गजल

बेचारगी को उम्रभर…डाॅ. नसीमा निशा, वाराणसी मोहताज दाने दाने को होता रहा किसान।बंजर जमीं में ख्वाब को बोता रहा किसान।।सरकार हो किसी की धोखा ही है मिला,बेचारगी को उम्रभर ढोता … Read More

गीत

उठो साथियों!सूर्य प्रकाश मिश्र, वाराणसी उठो साथियों देश बुलाता।राष्ट्र गान का अक्षर -अक्षरशपथ देश की याद दिलाता।तुम हो अग्नि पुत्र बलिदानी,शौर्य तुम्हारा अमिट कहानी,शान्ति छोड़कर क्रांति ओढ़ लोखौल रहा गंगा … Read More

संगीत और भारत

अनिवार्य प्रश्न । मंचदूत टीम संगीत भारत की आत्मा में बसा है। वेदों में रक्षित ओम से जन्मा और भारत में युगनुसार पलता,फलता, फूलता रहा। इस अंक में संगीत पर … Read More

भूख लगती है

राजेश मेहरा280, पूरन कैम्प, ताजपुर पहाड़ी, जैतपुर रोड, ‘ऐ माँ कुछ खाने को दे न….ऐ माँ दे न…।‘ बाहर दरवाजे से आवाज आई।रजाई में कांपती सुधा ने अपने पति कमल … Read More

जिन्दगी के कुछ अनछुए बिन्दु : पुस्तक लोकार्पण

पुस्तक लेखक: डाॅ0 रमाकान्त मिश्र समीक्षा लेखक डाॅ. सदानन्द सिंह: वाराणसी जिन्दगी के कुछ अनछुए बिन्दु, डाॅ0 रमाकान्त मिश्र द्वारा लिखा गयाआधुनिक गद्य रुपी की त्रिवेणी है।उसमें एक ही जगह … Read More