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Dr. Aastha of District Hospital Chandauli accused of eating commission together with a lab

जिला चिकित्सालय चंदौली की डा. आस्था पर एक लैब के साथ मिलकर कमीशन खाने का आरोप


अनिवार्य प्रश्न । ब्यूरो संवाद।


चंदौली। योगी के राज में भी डॉक्टर अपने कुकर्म से बाज नहीं आ रहे हैं और निर्भय होकर मरीजों को लूटने का काम तेजी से चल रहा है। स्थानीय ब्यूरो कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक मरीज ने जिला चिकित्सालय की डॉ. आस्था पर लैब के साथ लिकर कमीशन लेकर जांच करवाने का आरोप लगाया है।
उल्लेखनीय है कि एक मरीज सपना सिंह ने अपनी बीमारी के इलाज के लिये डॉ. आस्था को दिखाया, डॉ. आस्था ने विधिवत एक स्थानीय एसआरएल लैब के पैड पर सारे टेस्ट लिखकर मरीज को भेज दिया। किन्तु किन्ही कारणों से मरीज सपना सिंह अपनी जाँच उस लैब में न कराकर दूसरे लैब में करवाया और डॉ. आस्था को अपनी जांच रिपोर्ट दिखाई।

इस पर डॉक्टर आस्था ने मरीज की फाइल बिना देखे लेकर फेंक दिया और मरीज को भला बुरा भी सुनाया। बता दें कि सरकारी डाक्टरों को प्राइवेट ओपीडी व लैब के साथ जुड़कर सेवा देने पर प्रतिबंध है। योगी सरकार में यह प्रतिबंध और कड़ा किया गया है। लेकिन जिले भर में सभी चिकित्सालयों में मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार की अनेक सूचनाएं मिलती रही हैं। मेडिकल में कमीशन खोरी व भ्रष्टाचार का एक बड़ा सिंडिकेट सक्रिय है।

मरीज ने उसी सिंडिकेट से जुड़े होने और कमीशानखोरी का आरोप उक्त महिलाा चिकित्सक पर लगाया है। इस सम्बन्ध में जब अनिवार्य प्रश्न प्रतिनिधि ने डॉ. आस्था से बात की तो उन्होंने इस विषय पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि हम प्रेस को जवाब नहीं देंगे हमने पोर्टल पर अपने विवरण और अपना पक्ष रख दिया है। हांलाकि मुख्य चिकित्साधिकारी ने मरीज उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

एक अन्य सूचना में शहाबगंज प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर पैरामेडिकल स्टाफों द्वारा भी निरंतर पैसे लेकर ही सेवा देने का काम चल रहा है। आम निरीह जनता विरोध करना नहीं जानती और घूस-भ्रष्टाचार का हिस्सा बनने को मजबूर जाती है। वैैसे भी योगीराज में जनसुनवाई की हालत एकदम खस्ता है ऐसे में देखना है कि मेडिकल अपराधों और डाक्टर्स के कमीशनखोरी से जुड़े सिंडिकेट से संभवत संबंध रखने वाली डॉक्टर आस्था के खिलाफ कार्यवाही होती है या और अधिकारियों कर्मचारियों की तरह यह भी अपराध व भ्रष्टाचार के बाद भी मौज करती अपने पदों पर कमीशन खाती रह जाएगी।