Any shock on the freedom of the press will be harmful for the country: Vice President

प्रेस की आज़ादी पर कोई भी आघात देश के लिए नुकसानदेह होगा : उपराष्ट्रपति


अनिवार्य प्रश्न। संवाद


आज़ाद और निर्भीक प्रेस के बिना किसी लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती: उपराष्ट्रपति
मीडिया से सनसनी फैलाने की प्रवृत्ति से बचने की सलाह दी, मीडिया खबरों को पूर्वाग्रह से अलग रखे
महामारी के दौरान पत्रकारों की अग्रणी भूमिका की सराहना की
महामारी के दौरान सूचना के अधिकार के महत्व पर बल दिया
लोगों से अप्रामाणिक अफवाहों से बचने को कहा
उपराष्ट्रपति ने मीडिया कर्मियों की छंटनी पर चिंता जताई, इस दिशा में नए सार्थक उपाय खोजने को कहा
मीडिया कंपनियों से राजस्व के नए विश्वसनीय मॉडल खोजने को कहा जिससे उनकी आर्थिक स्थिति स्थिर रहे
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित वेबनार में उपराष्ट्रपति का पहले से रिकॉर्ड किया गया संबोधन, प्रसारित


नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर कहा कि प्रेस की आज़ादी पर कोई भी आघात राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध है तथा हर एक नागरिक द्वारा इसका विरोध किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित, कोविड महामारी के दौरान मीडिया की भूमिका तथा मीडिया पर महामारी के असर, इस विषय पर एक वेबनार को अपने पूर्व रिकॉर्ड किए गए संबोधन में उन्होंने कहा कि आज़ाद और निर्भीक प्रेस के बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती।

उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने में देश की प्रेस की अग्रणी भूमिका रही है। लोकतंत्र को मजबूत करने तथा संवैधानिक के अनुसार कानून का राज सुनिश्चित करने में एक मुखर, आज़ाद और जागरूक मीडिया उतना ही जरूरी है जितना की स्वतंत्र न्यायपालिका।

पत्रकारिता को एक पवित्र मिशन बताते हुए, श्री नायडू ने राष्ट्रहित के संवर्धन और जनता के अधिकारों के संरक्षण में प्रेस की उल्लेखनीय भूमिका की सराहना की।

साथ ही श्री नायडू ने मीडिया से आग्रह किया कि अपनी रिपोर्ट में वस्तुनिष्ठ, तथ्यात्मक, और निष्पक्ष रहे। उन्होंने सनसनी फैलाने और खबरों में पूर्वाग्रह मिलाने की प्रवृत्ति से बचने की भी सलाह दी। उन्होंने आग्रह किया कि विकासपरक खबरों को अधिक तरजीह दी जानी चाहिए।

महामारी के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मियों की अग्रणी भूमिका की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी के खतरों के बावजूद उन्होंने लगातार सूचना उपलब्ध कराई है। इसके लिए उन्होंने सम्बद्ध हर पत्रकार, कैमरामैन तथा अन्य मीडियाकर्मियों का अभिनन्दन किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब अप्रामाणिक अफवाहों का बाजार गर्म हो, ऐसे में महामारी के दौरान सही समय पर प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराया जाना नितान्त आवश्यक है ।

अप्रामाणिक अफवाहों से बचाने के लिए जन जागृति और शिक्षण का प्रसार करने में मीडिया की महती भूमिका है।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने उन पत्रकारों के परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की जिनकी इस महामारी के दौरान, इस संक्रमण के कारण मृत्यु हुई।

मीडिया पर महामारी के प्रभाव का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कई समाचार पत्रों ने अपने संस्करणों में कटौती की है और डिजिटल संस्करण निकालने लगे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हो रही पत्रकारों की छंटनी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

इन विषम परिस्थितियों में पत्रकारों को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता। उपराष्ट्रपति ने सभी हितधारकों से साथ मिल कर इस विषम परिस्थिति से निपटने के कारगर और सार्थक उपाय ढूंढने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि महामारी ने मीडिया संस्थानों को अधिक लचीला, स्थाई और स्वीकार्य राजस्व मॉडल अपनाने का अवसर दिया है। सामाजिक मिलजोल के बिना, इस अवधि में अधिक से अधिक लोग घर पर ही रह कर ताज़ा खबरों और मनोरंजन के लिए मीडिया पर ही निर्भर रहे।

इस संदर्भ में रामायण और महाभारत की लोकप्रियता की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने मीडिया जगत से आग्रह किया कि वह अपने दर्शकों में विस्तार करे और राजस्व के नए मॉडल खोजे।

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