Anivarya-Prashna-Web-Bainer-New-2026
Historic success towards “Naxal-free India” Security forces killed 31 Naxalites in KGH operation

“नक्सलमुक्त भारत” की दिशा में ऐतिहासिक सफलता: KGH ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को किया ढेर


अनिवार्य प्रश्न। संवाद।


नई दिल्ली/रायपुरI भारत सरकार के “नक्सलमुक्त भारत” के संकल्प की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए सुरक्षाबलों ने अब तक का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान सफलता पूर्वक संपन्न किया है। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कुर्रेगुट्टालू पहाड़ (Karregutta Hills – KGH) में 21 दिनों तक चले इस संयुक्त ऑपरेशन में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), राज्य सशस्त्र बल (STF) और जिला रिजर्व गार्ड (DRG) की टीमों ने 31 कुख्यात वर्दीधारी नक्सलियों को ढेर कर क्षेत्र को पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया है। यह पहाड़ी इलाका लंबे समय से नक्सलियों का सबसे सुरक्षित और प्रभावशाली गढ़ माना जाता था। अब वहां तिरंगा लहरा रहा है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस ऐतिहासिक सफलता की घोषणा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद से पूर्ण रूप से मुक्त हो जाएगा।

इस ऑपरेशन के दौरान मारे गए 31 नक्सलियों में 16 महिला सदस्य शामिल थीं, जबकि 28 की पहचान हो चुकी है, जिन पर कुल ₹1.72 करोड़ का इनाम घोषित था। सुरक्षाबलों ने 35 अत्याधुनिक हथियार, 450 आईईडी, 818 बीजीएल शेल, 899 कोडेक्स बंडल और 12,000 किलोग्राम से अधिक राशन बरामद किया। इसके साथ ही 214 नक्सली ठिकानों और बंकरों को ध्वस्त कर नक्सल नेटवर्क की रीढ़ को करारा झटका दिया गया। अभियान के दौरान 18 जवान घायल हुए, लेकिन सभी अब खतरे से बाहर हैं। 45 डिग्री सेल्सियस तापमान और बेहद दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद जवानों की हिम्मत और समर्पण अडिग रहा।

इस व्यापक अभियान के पीछे गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया एक विस्तृत एक्शन प्लान था, जिसमें तकनीकी और मानवीय खुफिया जानकारी, रियल टाइम इनपुट साझा करना, और ऑपरेशन की बारीक रणनीति शामिल थी। जवानों को IED से बचाव, एम्बुश अवेयरनेस और स्थानीय भूगोल की गहरी जानकारी से लैस कर अभियान को अत्यंत पेशेवर तरीके से अंजाम दिया गया।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2014 में देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जो 2025 में घटकर मात्र 18 रह गई है। सबसे अधिक प्रभावित जिले 35 से घटकर 6 हो गए हैं। नक्सली घटनाएं 2014 में 1080 थीं, जो 2024 में घटकर 374 पर आ गईं। वहीं, सुरक्षा बलों के शहीदों की संख्या 88 से घटकर 19 हो गई है, जबकि मुठभेड़ों में मारे गए नक्सलियों की संख्या 63 से बढ़कर 2089 हो गई। 2024 में 928 और 2025 के पहले चार महीनों में 718 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

सरकार की रणनीति केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इन क्षेत्रों में स्थायी शांति, सुरक्षा और विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके तहत अब तक 320 सुरक्षा कैंप, 68 नाइट लैंडिंग हेलीपैड और 555 सुदृढ़ पुलिस स्टेशन बनाए जा चुके हैं। साथ ही क्षेत्रीय विकास को गति देने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं भी शुरू की गई हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन केवल शुरुआत है। PLGA जैसे संगठनों के विघटन और सुरक्षा बलों के बढ़ते प्रभुत्व के साथ केंद्र सरकार की “Whole of Government” नीति को और सशक्त किया जाएगा, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विश्वास, विकास और सुरक्षा का वातावरण स्थापित किया जा सके।

कर्रेगुट्टालू पहाड़ पर तिरंगे का लहराना केवल सैन्य सफलता नहीं, बल्कि यह भारत के लोकतांत्रिक संकल्प की विजय है, जिसमें देश ने यह ठाना है कि नक्सलवाद के अंधकार को मिटाकर लोकतंत्र की रोशनी देश के हर कोने तक पहुंचाई जाएगी।