Lakshmi Vilas Bank approved merger plan with DBS Bank India Limited

लक्ष्‍मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड में विलय की योजना मंजूर


अनिवार्य प्रश्न। संवाद


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने लक्ष्‍मी विलास बैंक लिमिटेड (एलवीबी) के डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) में विलय की योजना को मंजूरी दे दी। जमाकर्ताओं के हित की रक्षा और वित्तीय एवं बैंकिंग स्थिरता के हित में, बैंकिंग विनियमन कानून, 1949 के सेक्‍शन 45 के तहत आरबीआई के आवेदन पर विलय की यह योजना बनाई गई है। इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सरकार की सलाह से जमाकर्ताओं के हित की रक्षा के लिए 17.11.2020 को एलवीबी पर 30 दिन  की अवधि के लिए मोरेटोरियम लगा दिया था और उसके निदेशक मंडल के ऊपर एक प्रशासक की नियुक्ति कर दी थी।

जनता और हितधारकों से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक ने विलय की यह योजना तैयार की और उसे सरकार की मंजूरी के लिए पेश किया था। यह कार्य मोरेटोरियम की अवधि के समाप्‍त होने से काफी पहले कर लिया गया ताकि लागू मोरेटोरियम के कारण अपने धन की निकासी नहीं कर पाने की जमाकर्ताओं की परेशानी को कम किया जा सके। इस योजना के मंजूर हो जाने के बाद एलवीबी का एक उचित तिथि पर डीबीआईएल के साथ विलय हो जाएगा और तब जमाकर्ताओं पर अपना धन निकालने को लेकर किसी भी तरह की रोक नहीं रहेगी।

डीबीआईएल एक बैंकिंग कंपनी है जिसे आरबीआई का लाइसेंस प्राप्‍त है और जो पूर्ण स्वामित्व वाले सहायक मॉडल पर भारत में परिचालन करती है। डीबीआईएल की सुदृढ़ बैलेंस शीट (तुलन पत्र) है, उसके पास पर्याप्‍त पूंजी है और डीबीएस से सम्‍बद्ध होने के कारण वह अतिरिक्‍त लाभ की स्थिति में भी है। डीबीएस एशिया का एक प्रमुख वित्तीय सेवा ग्रुप है जिसकी 18 बाजारों में उपस्थिति है और जिसका मुख्‍यालय सिंगापुर में है। वह सिंगापुर के शेयर बाजार में लिस्टि‍ड भी है। विलय के बाद भी डीबीआईएल का संयुक्‍त बैलेंस शीट सुदृढ़ रहेगा और इसकी शाखाओं की संख्‍या बढ़कर 600 हो जाएगी।

एलवीबी का तेजी से विलय और उसकी समस्‍या का समाधान, सरकार की स्‍वच्‍छ बैंकिंग व्‍यवस्‍था स्‍थापित करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है और यह जमाकर्ताओं और आम जनता के साथ-साथ वित्तीय प्रणाली के हित में भी है।

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