Month-long nationwide campaign against human trafficking, three women including 183 minors escaped from the clutches of smugglers in action, 47 human traffickers caught

मानव तस्करी के खिलाफ महीने भर चला देशव्यापी अभियान, कार्रवाई में 183 नाबालिगों सहित तीन महिलायें तस्करों के चंगुल से बचीं, 47 मानव तस्कर पकड़ाये


अनिवार्य प्रश्न। संवाद।


नई दिल्ली। यौन शोषण, देहव्यापार, जबरन मजदूरी, जबरन शादी, घरेलू बेगार करवाना, गोद देना, भीख मंगवाना, अंगों का प्रत्यारोपण करवाना, मादक पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान भिजवाने के लिये महिलाओं तथा बच्चों की मानव तस्करी संगठित अपराध है और मानवाधिकार के हनन का सबसे घृणित नमूना है। देश का प्रमुख यातायात तंत्र होने के नाते भारतीय रेल को मानव तस्करी के लिये इस्तेमाल किया जाता है, जिसके जरिये पीड़ितों को उनके मूलस्थान से उठाकर अन्य गंतव्यों तक ले जाया जाता है।

कमान और नियंत्रण की एक संगठित अवसंचरना होने के नाते आरपीएफ की पहुंच पूरे देश में है। समय बीतने के साथ-साथ आरपीएफ ने यात्रियों की सुरक्षा सम्बंधी शिकायतों का समाधान करने की कारगर प्रणाली विकसित कर ली है। पिछले पांच वर्षों (2017, 2018, 2019, 2020 और 2021) के दौरान आरपीएफ ने 2178 लोगों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया। इसके साथ ही 65000 से अधिक बच्चों और तमाम महिलाओं व पुरुषों को बचाया तथा उन्हें सुरक्षा दी।

स्टेशनों और गाड़ियों में अपनी रणनीतिक तैनाती, पूरे देश में अपनी पहुंच और पुलिस की मानव तस्करी रोधी इकाइयों (एएचटीयू) तथा अन्य इकाइयों के प्रयासों में तेजी लाने वाली प्रणाली का इस्तेमाल करते हुये, आरपीएफ ने हाल में मानव तस्करी के विरुद्ध “ऑप्रेशन आहट” (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग) नामक अभियान शुरू किया। इस पहल के अंग के रूप में आरपीएफ ने हाल में देशभर में 750 एएचटीयू की स्थापना की है, जो पुलिस, थानों में कार्यरत एएचटीयू, जिला और राज्य स्तरों पर, खुफिया इकाइयों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करेंगी तथा रेलगाड़ियों के जरिये होने वाली मानव तस्करी के खिलाफ कारगर कार्रवाई करेंगी। हाल में आरपीएफ ने एसोसियेशन ऑफ वॉलंटेरी ऐक्शन (एवीए) नामक गैर-सरकारी संगठन के साथ एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। इस संगठन को बचपन बचाओ आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। यह संगठन प्रशिक्षण के जरिये आरपीएफ की सहायता करेगा तथा आरपीएफ को मानव तस्करी के बारे में सूचनायें भी देगा।

इन प्रयासों में तेजी लाने के लिये मानव तस्करी के खिलाफ रेलवे के जरिये जुलाई 2022 में महीने भर का अभियान चलाया गया। आरपीएफ की क्षेत्रीय इकाइयों को सलाह दी गई थी कि वे राज्य पुलिस, स्थानीय कानूनी एजेंसियों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय बनाकर काम करें, ताकि तस्करी रोकने तथा तस्करी के मामलों के बारे में मिली सूचनाओं पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से भी आग्रह किया गया कि वे आरपीएफ के साथ संयुक्त कार्रवाई में हिस्सा लें, ताकि इस दिशा में समवेत प्रयास हो सकें। महीने के दौरान ऑप्रेशन-आहट में 151 नाबालिग लड़कों, 32 नाबालिग लड़कियों (कुल 183 नाबालिगों) और तीन महिलाओं को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया। साथ ही 47 मानव तस्कर भी धरे गये। इस अभियान ने सभी हितधारकों को साथ आने का मंच उपलब्ध कराया कि वे रेल के जरिये की जाने वाली मानव तस्करी के खिलाफ लामबंद हों। अभियान के दौरान विभिन्न एजेंसियों और हितधारकों के बीच विकसित समझ से भविष्य में भी मानव तस्करी के खिलाफ चलने वाली कार्रवाई में मदद मिलेगी।