Now, the officer will also be in the eye of the camera, a new order from the Supreme Court

अब दरोगा जी भी रहेंगे कैमरे की नजर में, सुप्रिम कोर्ट का आया नया आदेश


अनिवार्य प्रश्न । कार्यालय संवाद


वाराणसी। हमारी आपकी नहीं सरकारी पुलिस व उसकी जांच एजेन्सियां हिरासत में यातना देने के लिए दसकों से बदनाम थीं। हिरासत में यातना देने से उनको कोई रोक नहीं पाता था। निर्दोष भी पुलिस कस्टडी में कुट जाते थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 16 सितंबर 2020 को लोकसभा में बताया भी था कि हिरासत में यातना देने पर किसी तरह का कानून लाने की उसकी कोई योजना नहीं है, लेकिन भारत के उच्चतम न्यायालय ने अपने एक आदेश से इसकी काफी हद तक भरपाई कर दी है। जिसमें कहा गया है कि केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश यह सुनिश्चित करें कि सभी केंद्रीय जांच एजेंसियों और सभी राज्यों के प्रत्येक पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हों। किसी भी थाने का कोई भी क्षेत्र सीसीटीवी के कवरेज से बाहर न रहे। सभी प्रवेश व निकास पर सीसीटीवी होना चाहिए। मेन गेट के अलावा सभी लॉकअप में उत्तम कोटि के सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए। अभी इस विषय की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2021 को होनी है।

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिया है। माननीय कोर्ट ने डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस और सीरियस फ्रॉड इनवेस्टीगेशन ऑफिस में भी ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ क्लाज सर्किट कैमरों को लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह कैमरे पुलिस स्टेशन के प्रवेश और निकास बिंदु, लॉक अप, कॉरिडोर, लॉबी, रिसेप्शन एरिया, सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर के कमरे, थाने के बाहर, वॉशरूम के बाहर भी लगाया जाना चहिए।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कैमरों की रिकॉर्डिंग को संबंधित विभागों को 18 महीने तक सुरक्षित रखना होगा। साथ ही कोर्ट ने प्रत्येक जिले में मानवाधिकार न्यायालयों की स्थापना का आदेश दिया है। आगे कहा कि हिरासत में यातना की कोई भी शिकायत इन न्यायालयों द्वारा सुनी जानी चाहिए। सीसीटीवी सिस्टम के कामकाज की देखरेख के लिए दो प्रकार के पैनल का गठन किया जाएगा। राज्य स्तरीय पैनल में गृह सचिव, डीजीपी, राज्य महिला आयोग होंगे और जिला मजिस्ट्रेट एसपी, आदि जिला स्तरीय पैनल में होंगे।

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