पहलगाम आतंकी हमला: बैसरन घाटी में दहशत का मंजर, 26 पर्यटकों की हत्या से देश में शोक की लहर
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
अनंतनाग । जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले की सुरम्य बैसरन घाटी में सोमवार को जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और 17 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। मारे गए लोगों में 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली पर्यटक शामिल है। इस भयावह हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन “द रेजिस्टेंस फ्रंट” (TRF) ने ली है।
हमलावर सेना की वर्दी में आए थे और उन्होंने धार्मिक पहचान पूछकर पर्यटकों को निशाना बनाया। हमले का उद्देश्य आगामी अमरनाथ यात्रा से पहले घाटी में डर और असुरक्षा का माहौल बनाना बताया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले को “मानवता पर कलंक” करार दिया है और सऊदी अरब की अपनी आधिकारिक यात्रा को बीच में छोड़कर भारत लौटने का निर्णय लिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “इस नृशंस कृत्य के पीछे जो भी हैं, उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। भारत आतंक के सामने कभी नहीं झुकेगा।”
इस हमले में नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी शहीद हो गए, जिनकी हाल ही में शादी हुई थी। उनकी पत्नी हिमांशी द्वारा शव से लिपटकर दी गई अंतिम विदाई की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हो रहे हैं, और पूरे देश को गमगीन कर रहे हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस हमले के तीन संदिग्धों—आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा—के स्केच जारी किए हैं। इस जघन्य हमले का मास्टरमाइंड लश्कर का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद बताया जा रहा है, जो वर्तमान में पाकिस्तान में छिपा हुआ है।
हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है। बैसरन और आसपास के इलाकों में तलाशी अभियान जारी है। पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है और अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा योजना की फिर से समीक्षा की जा रही है।
देशभर में इस हमले के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। विपक्षी दलों ने सरकार से आतंकवाद पर निर्णायक और कठोर कार्रवाई की मांग की है। यह हमला पुलवामा के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है, जिसने फिर एक बार देश की सुरक्षा नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।