पोप फ्रांसिस का निधन: करुणा के प्रतीक को दुनिया ने खोया
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
वेटिकन सिटी, 21 अप्रैल 2025 — समर्पण, दया और विश्व शांति के संदेशवाहक, पोप फ्रांसिस अब इस दुनिया में नहीं रहे। सोमवार सुबह 7:35 बजे (स्थानीय समयानुसार), वेटिकन सिटी स्थित उनके आधिकारिक निवास डोमस सैंक्ते मार्थे में उनका निधन हो गया। 88 वर्षीय पोप का देहांत स्ट्रोक और हृदयगति रुकने के कारण हुआ। इस दुखद समाचार की पुष्टि कार्डिनल केविन फैरेल ने वेटिकन मीडिया के माध्यम से की।
पहले लैटिन अमेरिकी पोप की विरासत
13 मार्च 2013 को जब अर्जेंटीना के जोर्ज मारियो बेर्गोलियो को कैथोलिक चर्च का 266वां पोप चुना गया, तब उन्होंने न केवल इतिहास रचा बल्कि चर्च की दिशा भी बदली। वे पहले लैटिन अमेरिकी और पहले जेसुइट पोप थे। उनके पूरे कार्यकाल में विनम्रता, सामाजिक न्याय और गरीबों की पीड़ा को केंद्र में रखा गया। उन्होंने चर्च को मानवता के करीब लाने का अथक प्रयास किया।
ईस्टर मंडे पर अंत — प्रतीकात्मक विदाई
पोप फ्रांसिस का निधन ईस्टर मंडे को हुआ, जो ईसाई धर्म में पुनरुत्थान और नई आशा का प्रतीक है। एक दिन पहले, उन्होंने सेंट पीटर्स स्क्वायर में 35,000 से अधिक श्रद्धालुओं को अंतिम बार सार्वजनिक रूप से आशीर्वाद दिया था। हाल ही में डबल निमोनिया से उबरने के बाद यह उपस्थिति उनके स्वास्थ्य में सुधार का संकेत मानी जा रही थी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार की तैयारी
वेटिकन ने पोप फ्रांसिस की अंतिम यात्रा के लिए सेंट पीटर्स बेसिलिका को तीन दिनों तक श्रद्धांजलि के लिए खोला है। उनका अंतिम संस्कार 26 अप्रैल को सेंट पीटर्स स्क्वायर में संपन्न होगा, जिसमें विश्वभर के नेता, धर्मगुरु और लाखों श्रद्धालु शामिल होने की संभावना है। खास बात यह है कि पोप फ्रांसिस की इच्छा अनुसार, उन्हें सैंटा मारिया मैगियोरे बेसिलिका में दफनाया जाएगा — 1903 के बाद पहली बार किसी पोप का वेटिकन के बाहर दफन होना।
नए पोप की खोज जल्द शुरू
पोप फ्रांसिस की मृत्यु के बाद, कार्डिनल्स की एक सभा बुलाई जाएगी, जिसमें नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। यह कॉन्क्लेव 6 से 12 मई 2025 के बीच प्रारंभ हो सकता है। अब पूरी दुनिया की निगाहें वेटिकन पर टिकी हैं कि चर्च की अगली अगुवाई किसके हाथों में होगी।
“धन्यवाद” — एक संत का अंतिम संदेश
अपने अंतिम क्षणों में भी पोप फ्रांसिस ने सेवा और प्रेम की भावना नहीं छोड़ी। उनके आखिरी शब्द थे, “धन्यवाद,” जो उन्होंने अपने देखभालकर्ता मासिमिलियानो स्ट्रापेट्टी से कहे। यह शब्द उनके पूरे जीवन के सार को समेटे हुए हैं — कृतज्ञता, सेवा और प्रेम।
पोप फ्रांसिस का जाना न केवल कैथोलिक समुदाय, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक गहरा नुकसान है। उनके विचार, कार्य और संदेश आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे।