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The Wakf (Amendment) Bill, 2025 passed by the Parliament of India

भारत की संसद द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित


अनिवार्य प्रश्न। संवाद।


नई दिल्ली। भारत की संसद ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया है, जो मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला कानून है। यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया था और लोकसभा में 288 मतों के समर्थन और 232 मतों के विरोध के साथ पारित हुआ।

वक्फ क्या है?

वक्फ इस्लामिक कानून की एक अवधारणा है, जिसके तहत संपत्ति को धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए स्थायी रूप से समर्पित किया जाता है। एक बार वक्फ घोषित होने के बाद, उस संपत्ति को बेचा, उपहार में दिया या विरासत में नहीं लिया जा सकता। वक्फ संपत्तियां आमतौर पर मस्जिदों, मदरसों, अस्पतालों और गरीबों की सहायता के लिए उपयोग में लाई जाती हैं। भारत में, वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत किया जाता है, जो वक्फ बोर्डों की स्थापना करता है ताकि इन संपत्तियों का सही प्रशासन हो सके।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?

इस संशोधन विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:

  1. केंद्रीय वक्फ परिषद में बदलाव: अब परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों का समावेश अनिवार्य होगा। साथ ही, संसद सदस्यों, पूर्व न्यायाधीशों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के लिए मुस्लिम होने की अनिवार्यता हटा दी गई है।
  2. राज्य वक्फ बोर्डों में विविधता: प्रत्येक राज्य सरकार को राज्य वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का अधिकार दिया गया है। साथ ही, बोर्ड में कम से कम एक सदस्य शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिम वर्गों से होगा, और दो मुस्लिम महिला सदस्यों का समावेश भी आवश्यक होगा।
  3. वक्फ ट्रिब्यूनलों की संरचना में परिवर्तन: अब ट्रिब्यूनल में मुस्लिम कानून के विशेषज्ञ की आवश्यकता नहीं होगी। इसमें एक जिला न्यायालय के न्यायाधीश (अध्यक्ष) और एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होंगे।
  4. ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ अपील का प्रावधान: अब ट्रिब्यूनल के निर्णयों के खिलाफ उच्च न्यायालय में 90 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है।
  5. वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण: वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण की जिम्मेदारी अब सर्वेक्षण आयुक्त के बजाय जिला कलेक्टर या अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई है।
  6. सरकारी संपत्तियों का वक्फ के रूप में दावा: यदि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में पहचानी जाती है, तो वह अब वक्फ नहीं मानी जाएगी। स्वामित्व विवाद की स्थिति में क्षेत्रीय कलेक्टर निर्णय लेंगे, और यदि वह सरकारी संपत्ति पाई जाती है, तो उसे राजस्व रिकॉर्ड में अपडेट किया जाएगा।
  7. ऑडिट और पारदर्शिता: ₹1 लाख से अधिक आय वाली वक्फ संस्थाओं का ऑडिट राज्य द्वारा नियुक्त ऑडिटरों द्वारा किया जाएगा, और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल स्थापित किया जाएगा।
  8. संपत्ति समर्पण के नियम: केवल वे व्यक्ति जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं, वे ही वक्फ संपत्ति का दान कर सकते हैं। महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, ताकि वे वक्फ घोषणा से पहले अपनी विरासत प्राप्त कर सकें, विशेष रूप से विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए।

विधेयक के समर्थन और विरोध में तर्क क्या हैं?

समर्थकों का दृष्टिकोण:

  • सरकार: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करता है और किसी भी धार्मिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता। उन्होंने विपक्ष पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि इस विधेयक से पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार कम होगा।
  • अन्य समर्थक: विधेयक के समर्थकों का मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार होगा और मुस्लिम महिलाओं तथा पिछड़े वर्गों को अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा।

विरोधियों का दृष्टिकोण:

  • विपक्षी दल: कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला बताया और आरोप लगाया कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास है। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने इसे वक्फ संपत्तियों को हड़पने की साजिश करार दिया।
  • मुस्लिम संगठन: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस विधेयक का विरोध किया और आरोप लगाया कि यह वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को कमजोर करता है तथा वक्फ संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लाने का प्रयास करता है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025, देश में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में बड़े बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जहां सरकार इसे पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में बढ़ाया गया कदम बता रही है, वहीं विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए विरोध कर रहे हैं। यह विधेयक आगे चलकर किस प्रकार लागू होगा और इसका वास्तविक प्रभाव क्या होगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।