किसानों की मांग पर झुकी सरकार, माफी मांगे मोदी
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
वाराणसी-नई दिल्ली। एक वर्ष के अनवरत तपस्या के बाद आज किसानों की कृषि कानून को वापस लेने की मांग पूरी हो गई। आज देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी। साथ ही उन्होंने एमएसपी के पारदर्शी क्रियान्वयन एवं कृषि विकास के लिए एक समिति बनाने की घोषणा भी की। हालांकि इस दरमियान किसानों के समाज की काफी क्षति हुई है। यहां तक कि अनेक किसानों को एवं किसान नेताओं को अपनी जान भी गंवानी पड़ी। भाजपा की लगभग हट पर अली सरकार ने अंततः किसानों की बात स्वीकार कर ली है और इसे सरकार की आगामी चुनाव को देखते हुए डैमेज कंट्रोल के तौर पर समझा जा रहा है। किसानों के एक वर्ग का कहना है कि किसान जीत गए और सरकार हार गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राष्ट्र के नाम संदेश में किसानों से माफी मांगते हुए कहा कि यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। उन्होंने अपने आप को पांच दशक से किसानों की सेवा में निरंतर लगे रहने वाला सेवक बताया। इस घोषणा से संपूर्ण किसान समाज में ख़ुशी की लहर व्याप्त है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महा-अभियान में देश में तीन कृषि कानून लाये गये थे। इसका मकसद यह था कि किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत तथा उपज बेचने के लिये ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिलें। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षों से यह मांग देश के किसान, कृषि विशेषज्ञ और किसान संगठन लगातार करते रहे हैं। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया है। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाये गये। देश के कोने-कोने में, अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया और समर्थन दिया। प्रधानमंत्री ने इस कदम का समर्थन करने के लिये संगठनों, किसानों और लोगों को आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।’