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Grand launch of poetry book 'Geet Rasal' completed

काव्य पुस्तक ‘गीत रसाल’ का भव्य लोकार्पण हुआ संपन्न

 


समृद्ध साहित्यिक अतीत से उद्भूत नवीन गीतों का कवि ने किया है मनोहारी अलंकरण – प्रकाशक पण्डित छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’
हिंदी साहित्य के लिये ‘गीत रसाल’ रस और छंदों से परिपूर्ण एक ग्रंथ है – पूर्व बी,एस,ए, डॉ0 महेंद्र प्रताप सिंह


अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।


वाराणसी। भोजूबीर सरसौली स्थित स्याही प्रकाशन के ‘उद्गार’ सभागार में उद्गार संगठन की 94वीं मासिक कवि गोष्ठी में काशी के वरिष्ठ कवि व कथाकार डॉक्टर महेंद्र नाथ तिवारी ‘अलंकार’ द्वारा रचित व पंडित छतीश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ द्वारा संपादित गीत काव्य पुस्तक ‘गीत रसाल’ का भव्य लोकार्पण हुआ। सभा में बतौर अध्यक्ष श्री हीरालाल मिश्रा मधुकर, बतौर मुख्य अतिथि सेवानिवृत वित्त लेखा निदेशक श्री नगेन्द्र बहादुर सिंह, बतौर प्रकाशक पंडित छतीश द्विवेदी, अन्य अतिथियों में बतौर सारस्वत अतिथि पूर्व बीएसए डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह, आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी दिनेश कुमार सिंह, वरिष्ठ कवित्री श्रीमती छाया शुक्ला मंच पर विराजमान रहीं। लोकार्पण सभा के मुख्य वक्ता पूर्व सीडीओ व साहित्यकार डॉ. दयाराम विश्वकर्मा थे।

अपने सारस्वत आतिथ्य वक्तव्य में डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदी साहित्य के लिये ‘गीत रसाल’ रस और छंदों से परिपूर्ण एक ग्रंथ है। इसे सभी को पढ़ना व सहेजना चाहिये। मुख्य अतिथि श्री नगेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि कवि अलंकार जी ने अपने गीतों व कविताओं में समाज, व्यक्ति एवं समूचे परिवेश को लिख डाले हैं। कुछ छोड़े नहीं हैं। अगे प्रकाशकीय वक्तव्य में पं0 छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ ने कहा कि महेन्द्र अलंकार जी ने भारत की समृद्ध साहित्यिक व सांस्कृतिक अतीत से उद्भूत नवीन गीतों का मनोहारी अलंकरण किया है। इनकी हर कविता श्रृंगारित व नवीन है। दूर के पाठकों के लिये अच्छा है कि पुस्तक सभी प्रमुख आनलान प्लेटफार्म पर उपलब्ध हो चुकी है। इसी क्रम में डाक्टर महेन्द्र अलंकार ने अपनी किताब पर लेखकीय विचार रखा। उन्होंने कहा कि यह सर्वथा सत्य एवं मान्य है कि,गीत मानव मन की गहनतम अनुभूतियों का शाब्दिक लालित्यपूर्ण निःसरण है। यह काव्य विधा की सबसे कोमलतम विधा है। इसमें भाव की गहनता एवं संम्प्रेषणीयता प्रमुख तत्व है। मेरी किताब मेरी भावना है। प्रकाशक ने उसकी उत्तम प्रस्तुति की है। मैं पं0 छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ का आभारी हूँ।

उक्त पुस्तक लोकार्पण के मौके पर शुभारंभ सर्वप्रथम माँ सरस्वती वीणावाणी के चित्र पर माला अर्पण कर एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया। तत्पश्चात सरस्वती वंदना गीतकार सुनील सेठ ने किया ता लोगों ने करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया। कार्यक्रम का सफल संचालन कवि डॉक्टर लियाकत अली ने किया।

पुस्तक लोकार्पण के उपरांत सभी 20 अतिथियों का स्वागत व सम्मान किया गया। बाद में कवि गोष्ठी का शुभारंभ हुआ। इस काव्य गोष्ठी में वाराणसी सहित चन्दौली, जौनपुर व मिर्जापुर के जाने-माने कवि उपस्थित रहे। कवि गोष्ठी में भोलानाथ तिवारी विह्वल, सूर्य प्रकाश मिश्रा, चंद्रभूषण सिंह, सुनिल सेठ, आयुष सिंह, दिलीप कुमार आशिक, आनन्द पाल, माधुरी मिश्रा, डॉक्टर सुभाष चंद्र, बुद्धदेव तिवारी, देवेंद्र पांडेय, श्रीमती शिब्बिी मंमगाई, विंध्यवासिनी मिश्रा, निलिमा श्रीवास्तव, रामकृष्ण मिश्रा, खुशी मिश्रा, अंजली मिश्रा, नवल किशोर गुप्त, एकता मिश्रा, डॉक्टर मधुबाला सिन्हा, अंचला पाण्डेय, संध्या श्रीवास्तव, खलील अहमद रही आशिक बनारसी, कंचन लता चतुर्वेदी,राजेंद्र प्रसाद गुप्त बावरा, तेजबली अनपढ़, अलियर प्रधान, नागेंद्र सिंह, बैजनाथ श्रीवास्तव, आलोक सिंह बेताब, एकलाक भारतीय, प्रियान्शु मिश्रा आदि अनेक कविजनों ने भाग लिया। धन्यवाद का ज्ञापन कोषाध्यक्ष हर्षवर्द्धन ममगाई में किया।