Anivarya Prashna Web Bainer New 2025
History and future of Indian animation presented in masterclass

मास्टरक्लास में प्रस्तुत किया गया का भारतीय एनिमेशन के इतिहास और भविष्य


अनिवार्य प्रश्न। संवाद।


नई दिल्ली। मुंबई में एससीओ फिल्म महोत्सव के चौथे दिन भारतीय एनिमेशन: इतिहास और भविष्य विषय पर एक मास्टरक्लास का आयोजन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता किरीट खुराना द्वारा किया गया। किरीट खुराना ने दर्शकों को भारत में एनिमेशन फिल्म निर्माण की विकास यात्रा से अवगत कराया। किरीट ने भारत में एनीमेशन उद्योग की शुरुआत में क्लेयर वीक्स द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और यह बताया कि कैसे उनके शिष्य राम मोहन आगे चलकर भारतीय एनिमेशन उद्योग के जनक बने।

भारतीय एनिमेशन की यात्रा 1955 में सरकार द्वारा मुंबई में फिल्म प्रभाग परिसर में कार्टून फिल्म इकाई की स्थापना के साथ शुरू हुई। बाद के दशकों में राम मोहन ने पहली एनिमेशन  टेली फिल्म बरगद हिरण सहित कई पुरस्कार विजेता फिल्मों का निर्माण किया। भीम सेन और वीजी सामंत उस युग के अन्य प्रमुख फिल्म निर्माता थे।

वर्ष 1992 में कार्टून चरित्र ‘मीना और उसके तोते ‘मीठू’ की रचना के साथ भारतीय एनिमेशन उद्योग ने एक बड़ी छलांग लगाई। यह रचना कन्या भ्रूण हत्या के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के उद्देश्य से यूनेस्को के तत्वावधान में की गई थी। बाद में, मीना के चरित्र ने अफ्रीकी संदर्भ में सना नाम की एक और रचना के लिए प्रेरित किया। उस दौर की एक और ऐतिहासिक एनिमेशन फिल्म ‘रामायण का सह- निर्माण जापान की मदद से किया गया था। दोनों फिल्मों में राम मोहन का बहुत अधिक योगदान था। यह उद्योग बाद के दशकों में विकसित होता रहा और अर्जुन, गोपी गवैया एवं बागा बजैया जैसी फिल्मों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

किरीट खुराना ने बताया कि आधुनिक समय में वीएफएक्स कैसे एनिमेशन उद्योग के एक नए अवतार के रूप में उभरा है। उन्होंने उपमन्यु भट्टाचार्य जैसे भारतीय फिल्म निर्माताओं का उदाहरण दिया, जो इसी तर्ज पर ‘वाडा’ जैसी फिल्में विकसित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गेमिंग और कॉमिक्स उद्योगों में भी एनिमेशन उद्योग की उपस्थिति बढ़ रही है।

इस उद्योग की चुनौतियों के बारे में बात करते हुए, खुराना ने कहा कि फिल्म निर्माताओं को अक्सर अपनी फिल्में दिखाने के लिए सही प्लेटफॉर्म का अभाव रहता है। लाइव एक्शन फिल्मों की तुलना में उनके योगदान को शायद ही कभी पहचाना जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में, एनीमेशन उद्योग केवल छिटपुट काम कर रहा है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि भारत को एनीमेशन उद्योग के विकास को सुगम बनाने के लिए फ्रांस के एनेसी जैसा एनीमेशन उत्सव आयोजित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को जापान के एनिमेशन उद्योग के रास्ते पर चलने का लक्ष्य रखना चाहिए, जोकि विश्व प्रसिद्ध है। खुराना इस बात को लेकर आशान्वित थे कि इस उद्योग में 2030 तक मौजूदा 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर  से बढ़कर 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने और 20 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करने की क्षमता है।