राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंपे गए डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निजी कागजात
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
नई दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निजी कागजात आज राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) को सौंपे गए। इस महत्वपूर्ण अवसर पर डॉ. कलाम की भतीजी डॉ. एपीजेएम नजमा मरैकयार और उनके पोते श्री एपीजेएमजे शेख सलीम ने एनएआई को यह ऐतिहासिक संग्रह दान किया।
सौंपे गए दस्तावेजों में डॉ. कलाम के मूल पत्र-व्यवहार, पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, यात्रा रिपोर्टें और विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में दिए गए उनके व्याख्यान शामिल हैं। इसके साथ ही कई दुर्लभ तस्वीरें भी संग्रह का हिस्सा बनी हैं।
राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक श्री अरुण सिंघल (आईएएस) और डॉ. नजमा मरैकयार के बीच इस संबंध में औपचारिक समझौता भी संपन्न हुआ। समारोह में डॉ. कलाम के अन्य परिजन श्री एपीजेएम जैनुलाब्दीन और श्री एपीजेएमजे शेख दाऊद भी उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय अभिलेखागार, जो कि भारत सरकार के ऐतिहासिक दस्तावेजों का प्रमुख संरक्षक है, ने इस अवसर को भारतीय अभिलेखीय विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। संस्थान पहले से ही विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले प्रतिष्ठित भारतीयों के निजी कागजातों का समृद्ध संग्रह संजोए हुए है।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जिन्हें “भारत के मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता है, ने भारत के रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में अतुलनीय योगदान दिया। 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे डॉ. कलाम ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में कार्य करते हुए देश को परमाणु और मिसाइल शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें भारत रत्न सहित कई राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए।
वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ-साथ डॉ. कलाम ने युवाओं को प्रेरित करने में भी अग्रणी भूमिका निभाई। उनकी किताबें जैसे “विंग्स ऑफ फायर”, “इग्नाइटेड माइंड्स” और “इंडिया 2020” आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। सादगी और दूरदर्शिता के प्रतीक डॉ. कलाम का 2015 में निधन हो गया, किंतु उनकी शिक्षाएं और आदर्श आज भी जीवित हैं।
राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा उनके निजी दस्तावेजों का संरक्षण, आने वाली पीढ़ियों के लिए डॉ. कलाम की विरासत को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।