राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक कला का उत्सव: मधुबनी और गोंड कलाकारों ने राष्ट्रपति से की मुलाकात
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
नई दिल्लीI राष्ट्रपति भवन में चल रहे ‘आर्टिस्ट-इन-रेसिडेंस’ कार्यक्रम के अंतर्गत आज मधुबनी और गोंड चित्रकला के कलाकारों ने भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस कला उत्सव का उद्देश्य भारत की पारंपरिक, लोक और आदिवासी कलाओं को उनके मौलिक स्वरूप में संरक्षित करना और उन्हें एक राष्ट्रीय मंच प्रदान करना है।
इस विशेष आयोजन में बिहार की विश्वविख्यात मधुबनी चित्रकला और मध्य प्रदेश की गोंड चित्रकला के कलाकार 20 से 27 मई 2025 तक राष्ट्रपति भवन में निवास कर रहे हैं। इस दौरान कलाकार न केवल अपने चित्रों का सृजन कर रहे हैं, बल्कि वे पारंपरिक कला की जीवंतता और महत्व को भी उजागर कर रहे हैं। राष्ट्रपति भवन में प्रवास के दौरान इन कलाकारों को एक रचनात्मक वातावरण में कार्य करने का अवसर मिल रहा है, जिससे उनकी कला को और भी निखार मिल रहा है।
मधुबनी चित्रकला का प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकारों में शांति देवी, अंबिका देवी, मनीषा झा, प्रीति कर्ण, रंजन पासवान, उर्मिला देवी, श्रवण पासवान, कुमारी नलिनी शाह और मोती कर्ण शामिल हैं। वहीं गोंड चित्रकला के क्षेत्र से दुर्गाबाई व्याम, सुभाष व्याम, ननकुसिया श्याम, राम सिंह उर्वेती, दिलीप श्याम, चंपाकली, हीरामन उर्वेती और जापानी श्याम धुर्वे जैसे प्रसिद्ध कलाकार भाग ले रहे हैं।
राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों का अवलोकन किया और पारंपरिक चित्रकला के प्रति उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की पारंपरिक कलाएं न केवल सौंदर्यबोध की प्रतीक हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत की आत्मा भी हैं। राष्ट्रपति ने कलाकारों के रचनात्मक प्रयासों की प्रशंसा करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन की उस पहल का हिस्सा है, जिसके तहत भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहन दिया जाता है। ‘आर्टिस्ट-इन-रेसिडेंस’ जैसे आयोजन भारतीय कलाओं को नई पहचान देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं और देशभर के कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान कर रहे हैं।