भारतीय नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता में बढ़त, ‘अर्नाला’ पोत हुआ बेड़े में शामिल
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना को उसकी पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मिली है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) में से पहला युद्धपोत ‘अर्नाला’ 8 मई 2025 को एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली में नौसेना को सौंपा गया।
‘अर्नाला’ को जीआरएसई ने लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) शिपयार्ड के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत भारतीय शिपिंग रजिस्टर (IRS) के वर्गीकरण नियमों के अनुसार तैयार किया है। यह सहयोग रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता में हुई प्रगति को दर्शाता है।
77 मीटर लंबा यह युद्धपोत डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन से संचालित होता है और यह भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा उथले जल क्षेत्र में संचालित युद्धपोत है। ‘अर्नाला’ को तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बी रोधी अभियानों के अलावा पानी के नीचे निगरानी, खोज एवं बचाव (SAR) और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों (LIMO) के लिए डिज़ाइन किया गया है। साथ ही यह माइन बिछाने जैसी उन्नत क्षमताओं से भी युक्त है।
‘अर्नाला’ नाम महाराष्ट्र के वसई में स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले से प्रेरित है, जो भारत की समृद्ध समुद्री विरासत का प्रतीक है। यह पोत न केवल तकनीकी दृष्टि से उन्नत है, बल्कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की ओर एक और महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इसमें 80 प्रतिशत से अधिक सामग्री स्वदेशी स्रोतों से प्राप्त की गई है।
इस पोत की तैनाती से भारतीय नौसेना की तटीय सुरक्षा और पनडुब्बी रोधी क्षमताओं में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। यह परियोजना भारत की समुद्री रक्षा तैयारियों को आधुनिक बनाने और घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।