सीतापुर में पत्रकार की निर्मम हत्या, कानून-व्यवस्था पर फिर उठे सवाल
अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।
सीतापुर। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में 8 मार्च 2025 को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहां वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह दिल दहला देने वाली वारदात इमलिया सुल्तानपुर थाना क्षेत्र के हेमपुर ओवरब्रिज के पास लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई, जब वे अपनी बाइक से महोली से सीतापुर जा रहे थे।
हत्या की साजिश और घटना का विवरण
दोपहर करीब 3 बजे, राघवेंद्र को किसी का फोन आया, जिसके बाद वे तुरंत बाइक से निकले। जैसे ही वे हेमपुर ओवरब्रिज पहुंचे, पहले से घात लगाए हमलावरों ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। सड़क पर गिरते ही हमलावरों ने बिना देरी किए ताबड़तोड़ गोलियां दाग दीं और फरार हो गए।
स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। गंभीर रूप से घायल राघवेंद्र को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
संभावित कारण: क्या पत्रकारिता ही बनी मौत की वजह?
राघवेंद्र बाजपेई एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक समाचार पत्र के महोली तहसील संवाददाता थे। हाल ही में उन्होंने धान खरीद घोटाले और जमीन की रजिस्ट्री में स्टांप चोरी से जुड़े कई खुलासे किए थे, जिसमें कुछ प्रभावशाली लोगों की भूमिका उजागर हुई थी।
परिजनों के मुताबिक, उन्हें कुछ दिनों से लगातार धमकी भरे फोन कॉल आ रहे थे, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर पहले ही चिंता जताई जा रही थी।
पुलिस की जांच और कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस ने पूरे जिले में नाकाबंदी कर दी और संदिग्धों की तलाश शुरू कर दी। सीसीटीवी फुटेज में एक काले रंग की थार गाड़ी देखी गई, जिसमें हमलावरों के छिपे होने की आशंका जताई जा रही है।
फिलहाल, पुलिस ने चार लेखपालों समेत आठ लोगों को हिरासत में लिया है और गहन पूछताछ जारी है। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि बहुत जल्द इस मामले का खुलासा कर दिया जाएगा और दोषियों को सजा दिलाई जाएगी।
हत्या पर गरमाई सियासत
राघवेंद्र बाजपेई की निर्मम हत्या पर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कड़ा कानून बनाने की मांग की। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने और परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग की।
प्रदेश सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए परिवार को आर्थिक सहायता देने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
परिवार और समाज की प्रतिक्रिया
राघवेंद्र बाजपेई के आकस्मिक निधन से परिवार सदमे में है। उनके पीछे उनकी पत्नी, 10 वर्षीय बेटा आराध्या और 8 वर्षीय बेटी अस्मिता रह गए हैं। परिजनों के अनुसार, कुछ दिन पहले राघवेंद्र को धमकी भरे फोन कॉल आए थे, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
उधर, इस जघन्य अपराध के बाद पत्रकार संगठनों और स्थानीय लोगों में रोष है। पत्रकारों ने इस हमले को लोकतंत्र पर हमला करार दिया और प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की है।
क्या पत्रकारों की सुरक्षा पर उठते हैं गंभीर सवाल?
राघवेंद्र बाजपेई की हत्या यह साबित करती है कि उत्तर प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर संकट है। स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने की ये कोशिश न सिर्फ मीडिया जगत के लिए, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी खतरे की घंटी है।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस जघन्य हत्या के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए कब तक और कितना प्रभावी कदम उठाता है। जनता की निगाहें इस पूरे मामले पर टिकी हुई हैं, और न्याय की उम्मीद अभी भी बाकी है।