सीआईसी 15 मई से शुरू करेगा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के आरटीआई मामलों की सुनवाई


अनिवार्य प्रश्न । संवाद


मामलों की ऑनलाइन सुनवाई से ‘घर पर न्याय’ की अवधारणा को बढ़ावा मिलेगा: डॉ. जितेंद्र सिंह


दिल्ली। केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने 14 मई को कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) 15.05.2020 से संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के आवेदकों के सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत आवेदनों की सुनवाई शुरू करेगा। यह जानकारी डॉ. सिंह ने मुख्य सूचना आयुक्त श्री बिमल जुल्का से मुलाकात के बाद दी। श्री जुल्का ने केंद्रीय मंत्री से भेंट की थी। मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के आवेदक घर से आरटीआई आवेदन दाखिल कर सकते हैं और किसी को सीआईसी की अपील के लिए भी बाहर की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, इससे ‘घर पर न्याय’ की एक नई संस्कृति की शुरूआत होगी।

दोनों संघ शासित प्रदेशों के आवेदक प्रदेश द्वारा नामित अधिकारियों के समक्ष पहली अपील दायर कर सकते हैं और सीआईसी के समक्ष दूसरी अपील के लिए घर से सुनवाई की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, आवेदक ऑनलाइन तरीके से कभी भी आरटीआई दाखिल कर सकते हैं।

मंत्री ने यह भी बताया कि भारत का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से संबंधित मामलों के लिए आरटीआई दायर कर सकता है, जो पुनर्गठन अधिनियम, 2019 से पहले केवल जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के लिए आरक्षित था।

यहाँ यह उल्लेख करना उचित है किजम्मू-कश्मीरपुनर्गठन अधिनियम 2019 के पारित होने के परिणामस्वरूप, जम्मू-कश्मीरसूचना का अधिकार अधिनियम 2009 और इसके नियम निरस्त कर दिए गए थे तथा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और इसके अधीन नियम 31.10.2019 से लागू किए गए थे। डॉ. सिंह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर आरटीआई अधिनियम 2009 से केंद्रीय आरटीआई अधिनियम के लिए सुचारू परिवर्तन के लिए गृह मंत्रालय, डीओपीटी और केंद्रीय सूचना आयोग के कार्यालयों द्वारा ठोस प्रयास किए गए थे। मंत्री ने बताया कि पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के बाद से10 मई, 2020 तक, संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से सीआईसी में 111 दूसरी अपीलें व शिकायतें (नए मामले) दर्ज की गई हैं।

सीपीआईओ और एफएए के लिए प्रशिक्षण की योजना बनाई जा रही है और केंद्र शासित प्रदेशों जे एंड केऔर लद्दाख के सार्वजनिक प्राधिकरणों का डीओपीटी के आरटीआईऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण व संरेखण भी डीओपीटीके द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में, सभी सूचना आयुक्त मामलों की सुनवाई कर रहे हैं और सीआईसी मुख्यालय 33 प्रतिशत आधिकारिक कर्मचारियों के साथ काम कर रहे हैं। वरिष्ठ सूचना आयुक्त कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई कर रहे हैं।

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