भारत को मिला पहला वर्टिकल-लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज: नया पम्बन ब्रिज बना इंजीनियरिंग का चमत्कार
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
रामेश्वरम, तमिलनाडु । भारत ने समुद्री इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। 110 साल पुराने प्रतिष्ठित पम्बन ब्रिज की जगह अब एक नया, अत्याधुनिक वर्टिकल-लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज ले चुका है, जो न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
यह नया पम्बन ब्रिज भारत का पहला वर्टिकल-लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल है, जो भारतीय मुख्य भूमि को तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप से जोड़ता है। 2.07 किलोमीटर लंबा यह पुल समुद्र के ऊपर एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है, जिसमें इसका 72.5 मीटर लंबा लिफ्टिंग स्पैन केंद्रीय आकर्षण है। यह खंड जरूरत पड़ने पर 17 मीटर तक ऊपर उठ सकता है, जिससे बड़े जहाज आसानी से नीचे से गुजर सकते हैं।
इस पुल में कई स्मार्ट फीचर्स शामिल किए गए हैं। हवा की गति को मापने के लिए “थ्री-कप एनीमोमीटर” जैसे उपकरण लगाए गए हैं, जो यदि गति 58 किमी/घंटा से अधिक होती है, तो ट्रेन को रोकने के लिए स्वतः लाल सिग्नल चालू कर देते हैं। वहीं, पुल पर तैनात कर्मचारियों के लिए वायुमंडलीय जल जनरेटर से स्वच्छ पेयजल बनाया जा रहा है, जो हवा की नमी को जल में बदलता है।
यह पुल स्टेनलेस स्टील से सुदृढ़ किया गया है और समुद्री नमक से बचाने के लिए विशेष कोटिंग्स का उपयोग किया गया है। इसकी नींव 330 से अधिक पाइल्स पर टिकी है और यह न केवल वर्तमान के लिए, बल्कि भविष्य में दोहरी रेल लाइन के उपयोग के लिए भी तैयार है।
1914 में बना पुराना पम्बन ब्रिज कभी तीर्थयात्रियों और व्यापारियों की जीवन रेखा था, लेकिन समय के साथ उसकी स्थिति कमजोर होती गई। नया पुल उसी भावना को आधुनिकता के साथ आगे बढ़ाता है। यह तीर्थस्थल रामेश्वरम तक पहुंच को सुरक्षित, तेज़ और सुगम बनाता है, साथ ही स्थानीय लोगों के लिए नए आर्थिक अवसर भी लेकर आता है।
यह पुल सिर्फ़ एक संरचना नहीं, बल्कि एक प्रतीक है—भारत की विरासत, तकनीकी क्षमता और दूरदर्शिता का। यह न केवल दो भू-भागों को जोड़ता है, बल्कि यह अतीत, वर्तमान और भविष्य को भी एक साथ लाता है।
जब अगली बार कोई यात्री रामेश्वरम के लिए इस पुल से गुज़रे, तो वह सिर्फ़ रेल यात्रा नहीं कर रहा होगा, बल्कि वह एक सदी पुरानी कहानी को पार कर भारत के नवाचार की ओर कदम बढ़ा रहा होगा।