एनएचआरसी ने तिरुपुर में सीवेज टैंक हादसे का लिया स्वतः संज्ञान, तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में एक निजी औद्योगिक इकाई में बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवेज टैंक की सफाई के दौरान तीन श्रमिकों की दम घुटने से हुई मौत और एक अन्य श्रमिक की गंभीर हालत की घटना का स्वतः संज्ञान लिया है। यह हादसा 19 मई 2025 को कराईपुदुर इलाके की एक डाइंग मिल में हुआ था।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, टैंक में उतरने के कुछ ही समय बाद चारों श्रमिकों का दम घुटने लगा और वे अचेत होकर गिर पड़े। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने तीन को मृत घोषित कर दिया, जबकि एक की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतकों की पहचान अनुसूचित जाति से होने के रूप में हुई है।
आयोग ने इसे मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का मामला मानते हुए तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव और राज्य पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है। आयोग ने चार सप्ताह के भीतर इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें जांच की स्थिति और पीड़ित परिवारों को दिए गए मुआवजे (यदि कोई हो) का विवरण शामिल करने को कहा गया है।
एनएचआरसी ने अपने बयान में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय पहले ही डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ मामले में यह स्पष्ट कर चुका है कि सीवर की सफाई जैसे कार्यों में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल सुनिश्चित करना सरकार और स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है।
आयोग ने यह भी दोहराया कि वह लगातार ऐसे खतरनाक कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करता रहा है, जिसमें पर्याप्त सुरक्षात्मक उपकरणों के बिना श्रमिकों को लगाया जाता है। साथ ही, उसने रोबोटिक तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और 24 सितंबर 2021 को जारी एडवाइजरी का पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता भी दोहराई है।
एनएचआरसी की इस कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि खतरनाक सफाई कार्यों में लगे श्रमिकों की सुरक्षा और सम्मानजनक कार्य परिस्थितियों को सुनिश्चित करना सभी संबंधित एजेंसियों की जिम्मेदारी है।