गंगा में फिर चलेंगी नौकाएँ, नए नियम के तहत सबकी जानकारी रखेगा नगर निगम प्रशासन, आनलाइन मिल रही है मान्यता
अनिवार्य प्रश्न । ब्यूरो संवाद
वाराणसी। वन विभाग द्वारा कछुआ सेंचुरी का स्थान दूसरी जगह परिवर्तित किए जाने के बाद अब गंगा नदी में चलने वाली सभी तरह की नावों के पंजीकरण की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। अभी तक वन विभाग का कछुआ सेंचुरी होने के कारण गंगा में चलने वाली नावों का पंजीकरण नहीं हो रहा था। पंजीकरण प्रारंभ होने से जिला एवं नगर निगम प्रशासन को नदी में चलने वाली नावों के प्रकार, उसकी धारण क्षमता, नाव निर्माण समय, नाव का फिटनेस आदि का आसानी से पता चल जाएगा तथा प्रशासन द्वारा इन नावों पर निगरानी आसान हो जाएगी।
गंगा नदी में अभी तक मनमाने तरीके से नाव का संचालन होता रहा है। सूत्रों के अनुसार निगम प्रशासन द्वारा देखा जाता रहा है कि मानव चालित नाव की अपेक्षा मोटर चालित नावों की संख्या अधिक हो गई है तथा इन के स्वामी नाविकों द्वारा बेतरतीब और मनमाने ढंग से लोगों को बैठाकर गंगा की सैर कराई जाती है। इन नावों पर न तो सुरक्षा के मानकों का ध्यान दिया जाता है और ना ही पर्याप्त सुरक्षा के उपकरण ही होते हैं, जिसके कारण कभी-कभी दुर्घटना होने पर जानमाल का बड़ा नुकसान होता रहा है।
अब पंजीकरण की कार्यवाई सुनिश्चित होने के उपरांत इन नावों पर आसानी से लगाम लग जाएगा तथा नाविकों की भी जिम्मेदारी सुनिश्चित हो जाएगी। पंजीकरण की प्रक्रिया वाराणसी नगर निगम द्वारा 17 मई 2020 से ऑनलाइन प्रारंभ की गई है। ऑनलाइन आवेदन हेतु वाराणसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा एक पोर्टल तैयार किया गया है जिसका लिंक https://varanasismartcity.gov.in/#/e-services/boating है। नाविक और नावों के मालिक आवेदक लिंक पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जिन नाविकों द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण नहीं किया जा पाएगा, वह ऑफलाइन भी आवेदन पत्र संबंधित जोन कार्यालय से प्राप्त कर उसी जोन कार्यालय पर जमा कर सकते हैं। नाविकों को आवेदन पत्र में अपना नाम, माता-पिता का नाम, अपनी जन्मतिथि, अपना स्थाई पता, आधार नंबर, नाव का प्रकार, नाव के धारण की क्षमता, नाव के निर्माण का समय तथा नाव किस घाट से किस घाट तक चलेगी जैसी जानकारियों का उल्लेख करना होगा। इसके साथ ही यह भी उल्लेख करना होगा कि नाव पूर्व में नगर निगम में पंजीकृत थी अथवा नहीं।