दिलकश नजारों का शहर ‘‘नैनीताल’’
दी वल्र्ड जर्नी । डेस्क
गुलाबी ठंड, पहाड़ों की हंसी वादियां और झील का वो दिलकश किनारा, ये नजारा कहीं और का नहीं तालो में ताल नैनीताल का है। खूबसूरती ऐसी जो मन मोह ले, सूकुन ऐसा जो एक बार आये वो प्रकृति के इस मनमोहक हरियाली में खो जाए।
नैनीताल हिमालय की कुमाऊँ पहाड़ियों की तलहटी में स्थित एक पर्यटन स्थल है। समुद्र तल से नैनीताल की कुल ऊंचाई लगभग 1938 मीटर है। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी नैनीताल छुट्टियां बिताने और प्रकृति को करीब से महसूस करने के लिए ये बेहद खूबसूरत शहर है। लहलहाते हुए हरे-भरे पेड़ों की चादर ओढ़े यहां की पर्वत श्रृंखला और ठण्डी आबो-हवा किसी का भी दिल जीतने के लिये काफी है। इससे भी दिलकश है इस शहर का दिल यानी नैनी झील जो अपने आप में सौंदर्य का दूसरा नाम है। नैनीताल प्रकृति के आकर्षण का वो केंद्र है जो भूल पाना नामुमकिन है। इस शहर के बारे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कुदरत ने इस क्षेत्र को बेशुमार प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करने में कोई कसर बाकी छोड़ी हो।
नैनीताल का दिल नैनी झील चारों ओर से पहाड़ों से घिरी है, इसकी परिधि लगभग दो मील है। इस झील के उत्तर में स्थित पहाड़ नैना पीक है जो झील के चारों ओर स्थित पर्वतों में सबसे उंचा है। जिसकी ऊँचाई 2615 मीटर है, जबकि पश्चिम की ओर देवपाठा 2438 मीटर और दक्षिण में अयार पाठा 2278 मीटर स्थित है। दिल के आकारनुमा बनी इस खूबसूरत झील में नौकाविहार, पाल नौकायन व पैडिल बोटिंग का भरपूर लुत्फ लिया जा सकता है। इससे भी ज्यादा खूबसूरत पल वह होता है जब सैलानी इस झील के किनारे बैठकर प्रकृति के सौंदर्य को अपनी आंखों में कैद करते हैं। सैरगाह के लिये नैनीताल के माल रोड की तो बात ही निराली है। यहां आने वाला हर सैलानी शाम के वक्त माल रोड पर चहलकदमी का आनन्द लेता है। नैनीताल के करीब दस वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले दर्जन भर रमणीक पर्यटन स्थल हैं जो पर्यटकों का मन बरबस ही मोह लेते हैं। इन पर्यटन स्थलों में राजभवन, गोल्फ कोर्स, स्नो व्यू, नयना पीक, टिफिन टाॅप, केव गाॅर्डन, नैनी झील, नयना देवी मंदिर, हनुमानगढ़ी मंदिर, लैण्ड्स इंड और लड़िया कांठा आदि का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
220 एकड़ में फैले ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित राजभवन व इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुन्दरता का कोई जवाब नहीं है। इस क्षेत्र से लगा गोल्फ कोर्स मानो यहां की प्राकृतिक सुन्दरता में चार-चांद लगाता है। यहां के दूसरे नम्बर पर व्यू की चोटी का नाम लिया जा सकता है। व्यू से जहां नैनीताल की नैसर्गिक सुन्दरता का लुत्फ उठाया जा सकता है वहीं विश्व की सबसे सुन्दर मनोहारी बर्फ से आच्छादित हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं का विहंगम दृश्य भी दिखायी देता है। व्यू से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित नयनापीक पिकनिक स्पॉट के लिये बेहद उम्दा स्थान है। इस चोटी से चायना बार्डर दिखाई देता है। यह चोटी शहर की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है।
शहर का तीसरा प्रमुख स्थल टिफिन टाॅप के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि डॉर्थीसीट नामक विदेशी महिला लगभग सौ वर्ष पूर्व यहां बैठकर चित्रकारी किया करती थी। डॉर्थीसीट के निधन हो जाने के पश्चात उसकी कब्र टिफिन टाप में बना दी गयी। जिसके दर्शनार्थ हजारों पर्यटक प्रतिवर्ष टिफिन टाप पहुंचते हैं।
नयना देवी मंदिर
नैनीताल के पर्यटन स्थलों में धार्मिक आस्था के प्रतिबिम्ब के रूप में स्थापित नयना देवी मंदिर है। जो नैनी झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है। लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष इस मंदिर के दर्शनार्थ पहुंचते हैं। 1980 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था। बाद में इसे दुबारा बनाया गया। यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। नैनी झील के बारें में माना जाता है कि जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्घ्थापना हुई। नैनी झील के स्घ्थान पर देवी सती की आँख गिरी थी। इसी से प्रेरित होकर इस मंदिर की स्थापना की गई है। हर वर्ष माँ नैना देवी का मेला नैनीताल में आयोजित किया जाता है।
पुण्य स्कंद पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर कहा गया है। कहा जाता है कि जब अत्री, पुलस्थ्य और पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने एक गड्ढा खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर उसमें भरा। इस झील के बारे में कहा जाता है यहां डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना मानसरोवर नदी से मिलता है। धार्मिक पर्यटन स्थलों की श्रृंखला में शहर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सूर्योदय का सुन्दर नजारा भी हनुमानगढ़ी से लिया जा सकता है। चोटियों से नीचे उतरकर नैनीताल के निचले सैरगाहों पर नजर डाली जाये तो छः दर्जन से अधिक वन्य प्राणियों का चिडिघ्याघर प्रमुख पर्यटन स्थल है।
कुदरत ने नैनीताल की भौगोलिक सुन्दरता को खूबसूरत बनाने में जहां कोई कसर नहीं छोड़ी है वहीं जमीन के भीतर रहस्यमयी गुफायें पैदा कर रोमांचकारी सौन्दर्य भी प्रदान किया है। सूखाताल में स्थित केव गार्डन इसकी एक जीती-जागती मिसाल है। छः गुफाओं का यह केव गार्डन रोमांच का शौक रखने वाले सैलानियों की तमन्नाओं को पूर्ण करता है। तमाम खूबियों को खुद में समेटे नैनीताल की आबो-हवा ही ऐसी है जो देश व विदेश के लाखों पर्यटकों को हर वर्ष यहां खींच लाती है और यहां पहुंचने वाले प्रत्येक सैलानी नैनीताल की खूबसूरती को देख अपने दिल में यहां बार-बार आने का अरमान लिये ही रवाना होता है।
अगर आप सर्दियों का आनंद लेने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं और बर्फिले पहाड़ का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो नैनीताल की सैर पर दिसंबर से फरवरी के बीच का मौसम सबसे सही होता है। इस दौरान यहां बर्फबारी भी होती है और इस दौरान तापमान अधिकतम 15 डिग्री सेल्सियस से लेकर न्यूनतम 3 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। वैसे तो नैनीताल हर मौसम के दौरान खुशगवार ही रहता है और यहां आप कभी भी सैर-सपाटे के लिए आ सकते हैं।
नैनीताल के जल की विशेषता यह है कि इस ताल में सम्पूर्ण पर्वतमाला और वृक्षों की छाया स्पष्ट दिखाई देती है। आकाश मण्डल पर छाये हुए बादलों का प्रतिबिम्ब इस तालाब में इतना सुन्दर दिखाई देता है कि इस प्रकार के प्रतिबिम्ब को देखने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर से प्रकृति प्रेमी नैनीताल आते-जाते हैं। जल में विहार करते हुए बत्तखों का झुण्ड, थिरकती हुई तालों पर इठलाती हुई नौकाओं तथा रंगीन बोटों का दृश्य और चाँद-तारों से भरी रात का सौन्दर्य नैनीताल के ताल की शोभा बढ़ाने में चारचाँद लगा देता है। इस ताल के पानी की भी अपनी विशेषता है। गर्मियों में इसका पानी हरा, बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला हो जाता है।
झील के उत्तरी किनारे को मल्लीताल और दक्षिणी किनारे को तल्लीताल कहते हैं। यहां एक पुल है जहां गांधीजी की प्रतिमा और पोस्ट ऑफिस है। यह विश्व का एकमात्र पुल है जहां पोस्ट ऑफिस है। इसी पुल पर बस स्टेशन, टैक्सी स्टैंड और रेलवे रिजर्वेशन काउंटर भी है। नैनीताल में तल्लीताल घाट से मछलियों का झुंड उनको खाना आदि देने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
नैनीताल की शाम
झील का किनारा और रोशनी से नहाया हुआ लहराता पानी। नैनीताल जब रोशनी से जगमगाता है तो ये नजारा ऐसा लगता है कि मानो शहर की सारी खूबसूरती इसी झील में समा सी गयी है। शाम को झील के किनारे सैर करने और बैठने का आनंद ही कुछ और है, जिसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता है। झील के एक ओर स्थित है माल रोडघ् जिसे अब गोविंद बल्लभ पंत मार्ग कहा जाता है। यहां बहुत सारे होटल, रेस्टोरेंट, ट्रैवल एजेंसी, दुकानें और बैंक हैं। माल रोड मल्लीताल और तल्लीताल को जोड़ने वाला मुख्य रास्ता है।
झील के दूसरी ओर ठंडी रोड है जो माल रोड जितनी व्यस्त नहीं रहती। ठंडी रोड पर वाहनों को लाना मना है। एरियल रोपवे नैनीताल का मुख्य आकर्षण है। यह स्नो व्यू पाइंट और नैनीताल को जोड़ता है। रोपवे मल्लीताल से शुरु होता है। यहां दो ट्रॉली हैं जो सवारियों को लेकर जाती है। रोपवे से शहर का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है।
‘नैनीताल‘ के सम्बन्ध में एक और पौराणिक कथा प्रचलित है। ‘स्कन्द पुराण‘ के मानस खण्ड में एक समय अत्रि, पुलस्त्य और पुलह नाम के ऋषि गर्गाचल की ओर जा रहे थे। मार्ग में उन्हें यह स्थान मिला। इस स्थान की रमणीयता में वे मुग्ध हो गये परन्तु पानी के अभाव से उनका वहाँ टिकना और विश्राम करना कठिन हो गया। परन्तु तीनों ऋषियों ने अपने-अपने त्रिशूलों से मानसरोवर का स्मरण कर धरती को खोदा। उनके इस प्रयास से तीन स्थानों पर जल धरती से फूट पड़ा और यहाँ पर ‘ताल‘ का निर्माण हो गया। इसिलिए कुछ विद्वान इस ताल को ‘त्रिऋषि सरोवर‘ के नाम से पुकारा जाना श्रेयस्कर समझते हैं।
यहाँ की सात चोटियां नैनीताल की शोभा बढ़ाने में विशेष महत्व रखती हैं जो सैलानियों को जरुर देखना चाहिए-चीनीपीक (नैनापीक), किलवरी, लड़ियाकाँटा, देवपाटा और केमल्सबौग यह दोनों चोटियाँ साथ-साथ हैं, डेरोथीसीट, स्नोव्यू और हनी-बनी। ये चोटियाॅ नैनीताल की जान हैं।