जीवन पथ आलोकित कर दो।

कविता: शब्द प्रार्थना के ध्वनियों संग, हिय तंत्री अभिमंत्रित कर दो। सर्जन ज्ञान की दीप शिखा को, ज्योति से अपने ज्योतित कर दो। सदवृत्तियाँ सदा मन,उर उपजे, कलुष दुराचरण खंडित … Read More

प्रकृति कुछ तो कहती है:

कविता: कब से करती तुम्हे इशारा कल कल करती गंग की धारा क्यूं दूषित मुझको करते हो? मैंने ही तो तुझको तारा। तेरे पूर्वज जब तड़प रहे थे मोक्ष की … Read More

कविता : साहित्यिक गतिविधियाँ : डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा

कविता: साहित्यिक गतिविधियों का, केंद्र बना उद्गार। कविर्मनिषी विद्वत्जन का काशी का आगार।। यहाँ सृजन का पथ आलोकित,दीप्त सृजन संसार। साहित्यिक… इसके अभ्युदय से खुश हैं सारे रचनाकार। नगर संग … Read More

अनकहे जज्बात कविता प्रकाशित

अनिवार्य प्रश्न। संवाद। हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा गांव जनयानकड़ के रहने वाले युवा कवि लेखक डाँ. राजीव डोगरा की पहली किताब अनकहे जज्बात सरोजहंस प्रकाशन द्वारा प्रकाशित … Read More

कविता :  शब्द :  डॉक्टर डी. आर. विश्वकर्मा

कविता :  शब्द  शब्दों को हैं ब्रह्म मानते, शब्द ब्रह्म का आराधक। दिखती है शब्दों की थिरकन, जग में सब, उसके साधक।। शब्दों के ही उद्बोधन से, अन्तर्मन के उठते … Read More

‘माँ सरस्वती चालीसा’ एवं ‘धरणीसुता’ पुस्तक का लोकार्पण संपन्न

अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद। हनुमान चालीसा के बाद काशी ने दुनिया को दिया फिर एक ‘माँ सरस्वती चालीसा’ काशी से विश्व को मिला नया चालीसा वाराणसी। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित … Read More

कविता : अधूरा छूट गया : डॉ. मधुबाला सिन्हा

कविता : अधूरा छूट गया : डॉ. मधुबाला सिन्हा मान मिला सम्मान मिला, पर कुछ तो अधूरा छूट गया! सपनलोक का तू तो कुँवर था मैं तेरे सपनों की रानी … Read More

पखवाड़ा है हिंदी का : कंचन सिंह परिहार

नवगीत : पखवाड़ा है हिंदी का पखवाड़ा है हिंदी का, पखवाड़ा है हिंदी का। आओ मिलकर साथ मनाएं, पखवाड़ा है हिंदी का।।1।। कल तक वो जो अंग्रेजी के गुण गाने … Read More

‘‘आओ दीप जलाएं फिर से!’’ -गीतकार – छतिश द्विवेदी कुंठित’

गीत ‘‘आओ दीप जलाएं फिर से!’’ सनातन के पावन पर्व दीपावली पर सभी पाठकों को शुभकामना देते हुए उद्गार काव्य के इस अनुभाग में प्रस्तुत है गीत ‘‘आओ दीव जलाएँ … Read More

उद्गार काव्य : देश पर गुमान : रुद्राणी घोष

देश पर गुमान युवा कवयित्री : रुद्राणी घोष मुझसे पूछा एक अंगरेज ने, तु़झे क्यों हैं इतना गुमान अपने देश पर? खाने को भरपेट खाना नहीं, आधी आबादी सोती है … Read More