मसूरी नहीं देखे, तो कुछ नहीं देखे!
दी वल्र्ड जर्नी । डेस्क
अद्भुत एवं अतुलनीय भारत के उत्तराखंड राज्य का एक मनोरम क्षेत्र है मसूरी। जिसके बारे में कहा जाता है कि मसूरी नहीं देखे तो कुछ नहीं देखे। यह क्षेत्र पर्वतों की रानी नाम से भी मशहूर है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मसूरी स्वर्ग जैसा है। जहां लोग घूमने तो चले आते हैं पर लौटने का मन नहीं करता। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 2005 मीटर है। यहां पर्वतीय एवं दर्शनीय वनों का झुंड है। इसका सम्पूर्ण वर्णन किसी लेख, रिपोर्ताज, शब्द या भाव चित्र में नहीं किया जा सकता। मसूरी के मनोरम दृश्य व उसके प्राकृतिक सौंदर्य को सिर्फ देखकर ही महसूस किया जा सकता है।
उसके पास स्थित देहरादून में पाई जाने वाली वनस्पति और जीव-जंतु भी इसके सौंदर्य को और अधिक बढ़ा देते हैं। उत्तर भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व के लिए यह एक बेहतरीन ग्रीष्मकालीन पर्यटन क्षेत्र है। यह पहाड़ों की रानी कही जाती है और यहां आने के बाद लौटने की किसी की इच्छा नहीं होती। मसूरी धरती का परी महल है। यहां के लोग प्रायः यहां बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाले मनसूर के वृक्ष के नाम को इसके नाम का कारण बताते हैं मन्सूर वृक्ष के नाम के कारण ही इस क्षेत्र का नाम मसूरी पड़ा।
इसका इतिहास 1825 में कैप्टन यंग जो एक अंग्रेज अधिकारी और देहरादून के निवासी थे से आरंभ होता है। यह मसूरी उनके छुट्टी बिताने का स्थान हुआ करता था। यहां आना-जाना पहले कुछ कठिन था लेकिन नई सरकारों ने यहां की यात्रा एवं सड़क मार्ग को सरल कर दिया है।
मसूरी में भी अंग्रेज प्रभावित क्षेत्र माल रोड है। यह यहाँ का मुख्य क्षेत्र है। यह क्षेत्र पूर्व में पिक्चर पैलेस से होकर पश्चिम में पब्लिक लाइब्रेरी तक है। ब्रिटिश शासन काल में यहां पर लिखा होता था कि भारतीयों को अनुमति नहीं हैं। सभी का मानना है कि इस प्रकार के विचार किसी रास्ते के प्रवेश मार्ग की जगह लिखना अंग्रेजों की भाषा विचार निक्रिष्ठता को दर्शाता है जिसे बाद में हमारे भारतीय नागरिकों एवं शासकों ने तोड़ दिया। मोतीलाल नेहरू ने अपने निवास के दौरान इस नियम को रोज तोड़ देते थे। जब दलाईलामा को चीन अधिकृत क्षेत्र से निर्वासित किया गया तो निर्वासित सरकार यहीं आकर बनाए थे जो बाद के समय में हिमांचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थानांतरित हो गई।
मसूरी आज भी ग्रीष्म पर्यटकों काल में भर जाती है। हिमालय की चोटियों का अद्भुत दर्शन यहीं से होता है। यह आकर्षक जमीन व अलौकिक आसमान को निहारने के लिए जानी जाती है।
आवागमन
भारत के प्रमुख नगरों जैसे दिल्ली आदि जगहों से पहले से और अधिक सरल एवं सुगम हो गया है। मसूरी को यमुनोत्री व गंगोत्री जैसे तीर्थों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। इसका सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून है जहां से सरकारी बसें, टैक्सियां व निजी यातायात के साधन भी हर समय उपलब्ध रहते हैं।
यहां जाने का अनुकूल समय
मसूरी घूमने का सबसे बढ़िया समय मार्च से नवंबर का माना गया है विशेषज्ञों का कहना है कि मसूरी वर्षा काल में घूमने लायक नहीं रहती। बादलों की अधिकता के कारण चोटियों का दर्शन नहीं हो पाता। मगर मंसूरी वर्षा ऋतु में खूब हरी-भरी हो जाती है अतः और अधिक दर्शनीय हो जाती है।
गन हिल
कहा जाता है कि आजादी के पूर्व के वर्षों में इस पहाड़ी के ऊपर रखी तोप प्रतिदिन दोपहर के समय चलाई जाती थी ताकि लोग अपनी घड़ियों का समय ठीक कर लें। इस कारण इस स्थान का नाम गन हिल रखा गया। मसूरी कचहरी से 20 मिनट की दूरी पर स्थित गन हिल मसूरी की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है जहां पैदल और रोप-वे से भी जाया जा सकता है। यहां रोप-वे से घूमने का अपना अलग ही रोमांच होता है। जो जीवन में यादगार रह जाता है।
तिब्बती मंदिर
यह मंदिर अपनी खूबसूरती व शिल्प से सैलानियों का मन मोह लेता है। इस मंदिर के पीछे की तरफ कुछ ड्रम लगाए गए हैं जिनके बारे में मान्यता है कि इन्हें घुमाने के बाद याची की सभी मनोकामना पूरी होती है। कुछ इसी तरह के ड्रम वाराणसी के सारनाथ में भी मिलते हैं।
चाइल्ड लाज
यह मसूरी की सबसे ऊंची चोटी है यह लाल टिब्बा के समीप पड़ती है। यहां से प्रदेश राज्य सरकार का टूरिस्ट कार्यालय 5 किलोमीटर दूर है। चाइल्ड लॉज घोड़े से भी जाने की व्यवस्था है यहां से वर्षा को देखना बहुत आनंदमय रहता है।
म्युनिसिपल गार्डन
भारतीय स्वतंत्रता से पहले तक इस गार्डन को बोटनिकल गार्डन भी कहा जाता था इसके निर्माता एक विश्वविख्यात वैज्ञानिक डॉक्टर थे। डॉक्टर ने आस-पास फलोदी क्षेत्र को सुंदर उद्यान क्षेत्र में रूपांतरित कर दिया था उनके बाद इसकी देखरेख की जिम्मेदारी कंपनी प्रशासन की हाथों में चला गया इसी वजह से इसे कंपनी गार्डन कहा जाने लगा
झड़ी पानी फाल
यह मसूरी से 8 किलोमीटर दूर स्थित है यहां आने के लिए बस कार की सेवा भी उपलब्ध है। मसूरी के प्राकृतिक मनोरम क्षेत्रों में झड़ी पानी फाल का भी नाम आता है।
भट्टा फाल
देहरादून से मसूरी जाने वाले मार्ग पर मसूरी से कुल 7 किमी दूर स्थित भट्ठा फाल सैलानियों के लिए बड़े आकर्षण की जगह है। यहां स्नान करने व पिकनिक मनाने की पर्याप्त जगह है। सप्ताहांत में पिकनिक मनाने के लिए क्षेत्र के आसपास के लोगों के साथ ही दूर-दूर के लोग भी आ जाते हैं।
कैमल बैकरोड
इस सड़क की कुल लंबाई 3 किलोमीटर है जो पुलरी बाजार से आरंभ होती है। यहां पैदल व घुड़सवारी का बेहतर आनंद लिया जा सकता है। हिमालय में सूर्यास्त होने का अनुपम दृश्य यहां से अधिक अद्भुत दिखाई देता है।
केंप्टी फाॅल
मसूरी से 15 किलोमीटर दूर व 45 फुट की ऊंचाई पर स्थित केम्प्टी फाॅल सबसे खूबसूरत झरना है। यह झरना सुंदर घाटियों के बीच स्थित है। इसके चारों तरफ सुंदर पहाड़ों की कतार है यहां किसी का जल में स्नान करना उसे ऊर्जा से लबरेज कर देता है। झरना अलग-अलग 5 धाराओं में बहता है जो सैलानियों एवं पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बिंदु है। स्थानीय लोगों का मानना है कि अंग्रेज अपनी छुट्टियों की दावतें अक्सर यहीं पर किया करते थे। इसीलिए यहां का नाम कैम्पटीफाल है। यह मसूरी घाटी का सबसे सुंदर जलप्रपात है।
ज्वाला जी मंदिर
समुद्र तल से 2104 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह ज्वाला जी मंदिर की चोटी पर बना है। जहां माता दुर्गा की प्रतिमा है व उनकी पूजा होती है। मंदिर के चारों तरफ घनघोर जंगल है और वहां से चोटियां व दून की घाटी व यमुना की घाटी के सुंदर दृश्य मन को मोह लेते हैं।
वाम चेतना केंद्र
यह एक पिकनिक स्पॉट है वाम चेतना केंद्र के आसपास पार्क है जो देवदार के जंगलों और फूलों की झाड़ियों से घिरे हुए हैं।
क्लाउड एंड
इसे एक ब्रिटिश मेजर ने बनवाया था। इस बंगले को क्लाउड एंड कहते हैं। आज के समय में इस बंगले को एक होटल के रूप में बदल दिया गया है। यहां से यमुना नदी का जल प्रवाह एवं हिमाच्छादित चोटियां स्पष्ट देखी जा सकती हैं इसी वजह से हनीमून मनाने वाले नव दंपति एवं वैवाहिक जोड़ों की यहां भीड़ रहती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि लिव-इन रिलेशन में रहने वाले जोड़े भी भारी संख्या में यहां आकर अपना एकाकी व मुक्त जीवन जीते हैं।
सर जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस
भारत के प्रथम सर्वेयर जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट का आवास और कार्यालय यहीं था। यह विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नाम इन्हीं सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया है।
नाग देवता मंदिर
नाग देवता का यह मंदिर मसूरी से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर बना है और यहां लगभग प्रत्येक साधन से सरलता से जाया जा सकता है। आसपास के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में यमुना ब्रिज, धनौल्टी, सुरकंडा देवी, लाखामंडल, कैमल बैक रोड, चार्ली विलेज रोड, सिस्टर बाजार रोड व स्प्रिंग रोड प्रमुख हैं।