काशी के गंगा घाटों पर अब कस सकती है शुल्क की नकेल, बच सकती हैं पुरोहितों की चौकियां
अनिवार्य प्रश्न । ब्यूरो संवाद
वाराणसी। काशी के गंगा घाटों पर अब शुल्क की नकेल कसी जा रही है। हांलाकि स्थानीय मीडिया में दिन भर आई खबरों पर स्थानीय कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने शाम को सफाई देते हुए कहा है कि ’गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से हो रहे अथवा पहले से हो रहे धार्मिक अनुष्ठान व पुरोहितों को पूजा पाठ कराने आदि पर नगर निगम द्वारा किसी शुल्क को लेने से संबंधित कोई प्रस्ताव नहीं है। इस संबंध में किसी को भी गुमराह होने की आवश्यकता नहीं है।’
लेकिन काशीवासियों का मानना है कि इतिहास में अनेक ऐसे उदाहरण हैं जब किसी स्थान व विषय विशेष पर कर लगाया जाता है तो वह प्रारंभ में आंशिक ही होता है। कमिश्नर ने सफाई देते हुए कहा है कि काशी के गंगा घाटों पर परंपरागत तरीके से जो धार्मिक अनुष्ठान पहले से हो रहा है अथवा पहले से होता है साथ ही गंगा घाटों पर पुरोहितों द्वारा पूजा-पाठ कराए जाने आदि पर कोई शुल्क लिए जाने का नगर निगम वाराणसी का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने नगर निगम द्वारा लगाए जाने वाले शुल्क संबंधी प्रस्ताव के संबंध में स्पष्ट करते हुए बताया कि गंगा के घाटों पर नए सांस्कृतिक और कामर्शियल गतिविधियां लोगों द्वारा जो एकदम नया-नया शुरू किया जा रहा है अथवा टेंट आदि लगाकर कोई कार्यक्रम किया जा रहा है, यह नवीन कर प्राविधान उनके लिए है। यह भी अभी मात्र प्रस्ताव ही है, लागू नहीं है।
इसी क्रम में नगर आयुक्त गौरांग राठी द्वारा भी एक सूचना जारी कर अवगत कराया गया है कि उक्त शुल्क नगर निगम के अधिनियम के अंतर्गत लगाया गया है, जो घाटों पर आयोजित होने वाले विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान, जिसके द्वारा घाटों पर अवैध अतिक्रमण, कूड़ा, गंदगी फैलाया जाता है।
उनका कहना था कि अवैध अतिक्रमण, घाटों के चौका पत्थर इत्यादि के नुकसान होने एवं अवैध विज्ञापन, वाल पेंटिग इत्यादि से घाटों की सुन्दरता प्रभावित हो रही है।
इसके अतिरिक्त घाटों पर गंदगी व कूड़ा फैलाए जाने पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के विधियों के अंतर्गत पेनाल्टी का प्राविधान किया गया है। गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड यथावत रहेंगे। ब्राह्मणों, तीर्थ पुरोहितों की चौकियों पर पंजीकरण शुल्क को हटाये जाने के बारे में प्रस्ताव मिला है, जिसके बारे में अवगत कराया गया है। इस सम्बन्ध में प्रशासनिक स्तर पर निर्णय कर आवश्यक बदलाव कर दिया जायेगा एवं अन्य इस प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों की तरह इस पर भी शुल्क देय नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि अगर यह नवीन कर प्रस्ताव घाटों के लिए लागू होता है तो काशी के घाटों का कठोर कर परिधिकरण हो जाएगा। तब अनेक स्थानीय व बाहरी लोगों का इसके दायरे में आना तय हो जाएगा। अभी कर्मकांडियों को छोडने की बात चल तो रही है लेकिन उनको हमेशा छूट मिलेगी इसकी कौन गारन्टी ले सकता है। हालांकि नगर प्रशासन के इस नए फैसले का लागू किए जाने से पहले ही विरोध शुरु हो गया है।