नट भवः प्रजापति, नाट्य अभिनेता ब्रह्मा के समान होता है “संगीता गुंदेचा”
अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।
वाराणसी। नट भव प्रजापति, नाट्य अभिनेता ब्रह्मा के समान होता है यह उक्त बातें महात्मा गांधी काशी विद्या पीठ के ललित विभाग में नाट्य अनुभाग द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला के आयोजन में भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्राचार्या ने डिप्लोमा, बी ड्रामा और एम ड्रामा को संबोधित करते हुए कहा उन्होंने कहा कि नाटक में जो भाव व्यक्त किए जाते हैं या अभिनेता द्वारा जो प्रस्तुति दी जाती है वही देश और समाज की अद्भुत रचना करता है नाट्य प्रजापति अभिनेता ब्रह्मा के समान होता है। जो अपनी कला से अद्भुत रचना करता है नाटक और प्रकृति से एक अभिनय करता है नए समाज की रचना करता है हर कलाकार अपने कला अभिनय में पागल होता है। यह बातें कवि और कथाकार भारतीय रंग मंच की विदुषी नारी शक्ति की प्रतीक संगीता गुंडेचा ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र को लिखकर कलाकारों के माध्यम से रंग मंच को सजाया श्रीमती संगीता गुंडेचा ने कहा कि नाट्य दर्शन के माध्यम से हबीब तनवीर ने रंगकर्मियों को नाटक अभिनय के माध्यम से आंगिक , वाचिक और आहार्य को विधिवत समझाया।
काशी विद्यापीठ के नाटक प्रभारी डॉक्टर शुभ्रा वर्मा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ललित कला के शत्रुघ्न सर ने भी नाट्य विधा पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा ललित कला और नाट्य अनुभाग कला एक ही में समाहित होकर के जिस तरह की अपने कार्यशैली से नाट्य कला को सजा रहे हैं, हम उनकी प्रशंसा करते हैं। इस अवसर पर प्रोफेसर अरुण जैन,एम ड्रामा के अर्पित सिधोरे, अभिषेक पांडेय,अमन जयसवाल, आयुष सिंह, संगीता कुमारी, डिप्लोमा ड्रामा के छात्र लियाकत अली, विजय यादव, भानु राय,अमरजीत, अजीत यादव , रंजना सोनकर, देवयानी, कुंदन कुमार, विनय महादेव, शामिल रहे। धन्यवाद ज्ञापन डाक्टर शुभ्रा वर्मा ने दिया।