Govt to invest Rs 28,602 cr to expand India's global manufacturing limit

भारत की वैश्विक विनिर्माण सीमा बढ़ाने के लिए 28,602 करोड़ रुपये का निवेश


अनिवार्य प्रश्न। संवाद।


दिल्ली। राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम भारत की सबसे महत्वाकांक्षी अवसंरचना पहल है, जिसका लक्ष्य शहरी और औद्योगिक विकास के भविष्य को आकार देना है। यह दूरदर्शी कार्यक्रम स्मार्ट सिटी के रूप में नए औद्योगिक शहरों का निर्माण करना चाहता है, जहाँ अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियाँ विभिन्न बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में सहजता से जुड़ेंगी। भविष्य के इन औद्योगिक केन्‍द्रों के विकास को बढ़ावा देकर, भारत सरकार देश को विनिर्माण और निवेश में ग्‍लोबल लीडर के रूप में स्थापित कर रही है, जो दुनिया के शीर्ष लक्ष्‍यों से आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि को गति देने और व्यवस्थित शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किए गए एकीकृत औद्योगिक गलियारों का विकास करना है। मजबूत मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी द्वारा समर्थित और राज्य सरकारों के सहयोग से विकसित गलियारे पूरे देश में रोज़गार के अवसरों, आर्थिक विकास और समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं। दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा विकास निगम (डीएमआईसीडीसी) लिमिटेड की स्थापना 7 जनवरी 2008 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के रूप में की गई थी। इसका प्राथमिक मिशन परियोजना विकास गतिविधियों की देखरेख करना और डीएमआईसी के तहत विभिन्न पहलों के कार्यान्वयन का समन्वय करना था।

दिसम्‍बर 2016 में, डीएमआईसी ट्रस्ट का दायरा बढ़ाया गया, जिसके परिणामस्वरूप इसे राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट (एनआईसीडीआईटी) के रूप में पुनर्गठित किया गया। परिणामस्वरूप, फरवरी 2020 में, डीएमआईसीडीसी लिमिटेड का नाम बदलकर राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम (एनआईसीडीसी) लिमिटेड कर दिया गया। यह परिवर्तन भारत के प्रमुख ‘राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम’ में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिसमें एनआईसीडीसी को देश भर में कई औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं के विकास का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया। एनआईसीडीसी के आदेश में निवेश क्षेत्रों, औद्योगिक क्षेत्रों, आर्थिक क्षेत्रों, औद्योगिक नोड्स, टाउनशिप, एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर और स्टैंडअलोन या प्रारंभिक चरण की परियोजनाओं सहित कई तरह की पहलों के लिए परियोजना विकास गतिविधियाँ शामिल हैं। यह इन प्रयासों में विभिन्न राज्य सरकारों को महत्वपूर्ण सहायता भी प्रदान करता है। एनआईसीडीसी की भूमिका मास्टर प्लान, व्यवहार्यता रिपोर्ट और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने सहित व्यापक परियोजना विकास तक फैली हुई है। इसके अतिरिक्त, यह बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को विकसित करने और स्थापित करने, वित्तीय साधनों के निर्माण और वितरण की सुविधा, ऋणों पर बातचीत करने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए संसाधन जुटाने और ऋण विस्तार के लिए योजनाओं को डिजाइन करने में एक प्रमुख मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है। राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन के 11 गलियारे

रणनीतिक निवेश राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) का उद्देश्य बड़े प्रमुख उद्योगों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) दोनों से निवेश आकर्षित करके एक गतिशील औद्योगिक इकोसिस्‍टम विकसित करना है। ये औद्योगिक नोड 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेंगे, जो सरकार के आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। स्मार्ट शहर और आधुनिक बुनियादी ढांचारू एनआईसीडीपी वैश्विक मानकों के ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों के रूप में नए औद्योगिक शहरों का विकास देखेगा। इन शहरों का निर्माण ष्मांग से पहलेष् किया जाएगा, जिसमें प्लग-एन-प्ले और वॉक-टू-वर्क अवधारणाएं शामिल होंगी, जो टिकाऊ और कुशल औद्योगिक संचालन का समर्थन करने वाले उन्नत बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करती हैं। पीएम गतिशक्ति पर क्षेत्रीय दृष्टिकोण पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप, ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को जोड़ेंगी, जिससे लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित होगी। औद्योगिक शहर विकास केन्‍द्रों के रूप में काम करेंगे, जिससे पूरे क्षेत्र जीवंत आर्थिक केंद्रों में बदल जाएंगे।

धौलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर) अहमदाबाद से 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहर है, जिसे विनिर्माण और औद्योगिक विकास के लिए भारत का प्रमुख केन्‍द्र बनने के लिए तैयार किया गया है। देश के पहले प्लैटिनम-रेटेड औद्योगिक स्मार्ट शहर के रूप में, इसमें दक्षिण-पूर्व एशिया में तत्‍काल उपलब्‍ध सबसे बड़ी उन्‍नत विकसित भूमि है और यह रक्षा, विमानन, उच्च तकनीक और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों को लक्षित करते हैं। 2016 में स्थापित, धौलेरा इंडस्ट्रियल सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड (डीआईसीडीएल) एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) है जिसे एक संयुक्त उद्यम के रूप में बनाया गया है, जिसमें गुजरात सरकार डीएसआईआरडीए के माध्यम से 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है और भारत सरकार एनआईसीडीसी ट्रस्ट के माध्यम से 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है। एसपीवी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विकास को आगे बढ़ाने के लिए टिकाऊ, गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करता है।

औरंगाबाद औद्योगिक शहर (एयूआरआईसी) महाराष्ट्र में 10,000 एकड़ में फैला एक सावधानीपूर्वक नियोजित ग्रीनफील्ड स्मार्ट औद्योगिक शहर है, जिसे दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) के हिस्से के रूप में विकसित किया गया है। औरंगाबाद के पास शेंद्रा और बिडकिन में स्थित, एयूआरआईसी का प्रबंधन औरंगाबाद औद्योगिक टाउनशिप लिमिटेड (एआईटीएल) द्वारा किया जाता है, जो महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट (एनआईसीडीसी ट्रस्ट) के बीच एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) है। शहर अपनी 60 प्रतिशत भूमि औद्योगिक उपयोग के लिए समर्पित करता है, जबकि शेष 40 प्रतिशत आवासीय, वाणिज्यिक और मनोरंजक सुविधाओं के लिए है।

दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा विक्रम उद्योगपुरी लिमिटेड (डीएमआईसीवीयूएल) की स्थापना गुणवत्तापूर्ण औद्योगिक निवेश को आकर्षित करके और विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा प्रदान करके रोजगार, औद्योगिक उत्पादन और क्षेत्रीय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए की गई है। विक्रम उद्योगपुरी (वीयू) परियोजना को विनिर्माण पर ध्यान केन्‍द्रित करते हुए एक स्थायी आर्थिक आधार बनाने के लिए तैयार किया गया है और इसे संस्थागत, आवासीय और वाणिज्यिक कार्यों से सहयोग दिया जाता है। नरवर गाँव स्थित, उज्जैन से 8 किमी और देवास से 12 किमी दूर, यह परियोजना 442.3 हेक्टेयर (1,096 एकड़) में फैली हुई है और इसमें ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर और सहायक सामाजिक और भौतिक सुविधाएँ हैं, जो डीएमआईसी क्षेत्र के भीतर स्टेट हाईवे 18 (एसएच-18) पर रणनीतिक रूप से स्थित है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा हाल ही में राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के तहत 12 नए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दिए जाने के बाद भारत एक महत्वपूर्ण औद्योगिक परिवर्तन के सिरे पर खड़ा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में लिए गए इस ऐतिहासिक निर्णय में ₹28,602 करोड़ का अनुमानित निवेश शामिल है। इस पहल का उद्देश्य औद्योगिक नोड्स और शहरों का एक मजबूत नेटवर्क बनाना, आर्थिक विकास को गति देना और देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है। ये 12 औद्योगिक क्षेत्र, रणनीतिक रूप से 10 राज्यों में स्थित हैं और छह प्रमुख गलियारों के साथ योजनाबद्ध हैं, जो भारत की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक विस्तार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण होंगे। स्वीकृत शहरों में शामिल हैं।

खुर्पिया, उत्‍तराखंड राजपुरा-पटियाला, पंजाब दीघी, महाराष्‍ट्र पलक्‍कड़, केरल आगरा, उत्‍तर प्रदेश प्रयागराज, उत्‍तर प्रदेश गया बिहार, जहीराबाद, तेलंगाना ओरवाकल, आंध्र प्रदेश कोप्‍पा‍र्थी, आंध्र प्रदेश जोधपुर-पाली, राजस्‍थान उंहम, एनआईसीडीपी के तहत 12 नए औद्योगिक नोड्स को मंजूरी देना भारत की वैश्विक विनिर्माण शक्ति बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। एकीकृत विकास, टिकाऊ बुनियादी ढांचे और निर्बाध कनेक्टिविटी पर रणनीतिक ध्यान देने के साथ, ये परियोजनाएं भारत के औद्योगिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने और आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं। इन नई स्वीकृतियों के अलावा, एनआईसीडीपी ने पहले ही चार परियोजनाएं पूरी कर ली हैं, और चार अन्य परियोजनाएं अभी कार्यान्वयन के अधीन हैं। यह निरंतर प्रगति भारत के औद्योगिक क्षेत्र को बदलने और एक जीवंत, टिकाऊ और समावेशी आर्थिक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

अंत में राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) एक परिवर्तनकारी पहल का प्रतिनिधित्व करता है जो भारत के औद्योगिक परिदृश्य को नया आकार देने और देश को वैश्विक विनिर्माण नेता के रूप में स्थापित करने के लिए तैयार है। हाल ही में कैबिनेट द्वारा 12 नए औद्योगिक नोड्स को मंजूरी देना आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, रोजगार के अवसर पैदा करने और स्‍थायी विकास को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता दर्शाता है। ये परियोजनाएँ न केवल भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देंगी, बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक उत्थान के लिए उत्प्रेरक का काम भी करेंगी, जिससे राष्ट्र आत्मनिर्भर और विकसित भारत के सपने की ओर अग्रसर होगा। जैसे-जैसे ये औद्योगिक गलियारे सफलता की ओर बढ़ेंगे, वे भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने, इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने और राष्ट्र के लिए दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।