बार.बार आने वाले भूकंप – एक अध्ययन
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
नई दिल्ली। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क के 166 स्टेशनों के माध्यम से देश भर में भूकंप की गतिविधियों की निगरानी और सूचना देता है। भूकंपों का विवरण एनसीएस की वेबसाइट ( seismo.gov.in ) पर उपलब्ध है। देश भर आने वाले लगातार भूकंपों के विज्ञान को समझने के लिए कई अध्ययन किए गए हैं, जिनमें स्थानीय जगहों के प्रभावों, भूकंप की घटनाओं के रुझान विश्लेषण आदि को समझने के लिए चयनित शहरी क्षेत्रों में किए गए विस्तृत भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन अध्ययन शामिल हैं। अब तक, दिल्ली, कोलकाता, गंगटोक, गुवाहाटी, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चेन्नई, कोयंबटूर और मैंगलोर के लिए इस तरह के माइक्रोज़ोनेशन पूरे हो चुके हैं।
इसके अलावा, भूकंपीय पैटर्न और स्रोत प्रक्रियाओं की बेहतर समझ के लिए NCS-MoES द्वारा पहले आए भूकंपों का निरंतर डेटा संग्रह और विश्लेषण किया जाता है। इसके अतिरिक्त, किसी क्षेत्र में पहले आए भूकंपों की निरंतरता के आधार पर, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने भारत का एक भूकंपीय ज़ोनिंग मानचित्र विकसित किया है, जो क्षेत्रों को भूकंप के जोखिम के आधार पर वर्गीकृत करता है। यह शहरी नियोजन और निर्माण प्रक्रियाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है।
भूकंप से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इनमे भूकंप का समय पर पता लगाने और अलर्ट करने के लिए भूकंपीय निगरानी नेटवर्क का विस्तार, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में भूकंप रोधी डिजाइन और निर्माण के लिए बीआईएस द्वारा भवन कोड निर्धारित करना है। साथ ही, भूकंप की तैयारी के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना, और राज्य और जिला स्तर पर आपातकालीन प्रतिक्रिया और आपदा प्रबंधन योजनाएं भी विकसित की जाती हैं। इनमे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और गृह मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) द्वारा अभ्यास और जागरूकता अभियान शामिल हैं।