काशी मनीषी महासभा
काशी मनीषी महासभा – संगठन प्रोफ़ाइल
परिचय:
काशी मनीषी महासभा एक वैचारिक, सांस्कृतिक एवं ज्ञान-केन्द्रित संगठन है, जिसकी स्थापना प्राचीन भारतीय परम्पराओं की पुनर्स्थापना और आधुनिक समाज में विद्या, विचार और गुरु-परंपरा के पुनर्जीवन हेतु की गई। इस संस्था का शुभारंभ काशी के प्रखर विचारक, साहित्यकार एवं समाजसेवी पं. छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ के हाथों हुआ।
दृष्टिकोण (Vision):
भारतीय मनीषा की उज्ज्वल परंपरा को सहेजना, सम्मानित करना और समाज के विविध वर्गों तक उसका विस्तार करना।
उद्देश्य:
मनीषियों (गंभीर चिन्तकों, ज्ञानियों, विद्वानों, गुरुओं) को पहचानना और सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना।
गुरु-शिष्य परंपरा, वेद-शास्त्र, लोक-विद्या, गुरुकुल संस्कृति और आत्मबोध की परंपरा को पुनर्स्थापित करना।
विचार-गोष्ठियों, व्याख्यानमालाओं और संवाद श्रृंखलाओं के माध्यम से ज्ञान-विमर्श को जीवंत रखना।
नई पीढ़ी को प्राचीन भारतीय विद्या, संस्कृति और मूल्यों से जोड़ना।
पारंपरिक ज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर रहे गुरुकुलों, आचार्यों और संस्थाओं को प्रोत्साहन देना।
मुख्य गतिविधियाँ:
मनीषी सम्मान समारोह: अब तक हजारों विद्वानों, चिंतकों, गुरुओं और शोधकर्ताओं को उनके अमूल्य योगदान के लिए सार्वजनिक मंचों पर सम्मानित किया गया है।
विचार संगोष्ठियाँ: नियमित रूप से काशी सहित देशभर में विद्या, संस्कृति और अध्यात्म पर आधारित विचारगोष्ठियों का आयोजन।
गुरुकुल-प्रोत्साहन योजना: पारंपरिक शिक्षण-पद्धतियों को बढ़ावा देने हेतु गुरुकुलों के सहयोग और प्रचार-प्रसार की पहल।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: वैदिक यज्ञ, शास्त्रार्थ, श्लोक-गायन, पुराण-पठन आदि के आयोजन।
संस्थापक का कथन:
पं. छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ मानते हैं – “जब तक समाज में मनीषियों का यथोचित सम्मान नहीं होगा, तब तक ज्ञान का प्रकाश जनमानस तक नहीं पहुँचेगा। काशी मनीषी महासभा इसी उद्देश्य से सतत प्रयासरत है कि ज्ञान और विचार को आदर का स्थान प्राप्त हो।”
अन्तिम में:
काशी मनीषी महासभा एक ऐसा मंच है जहाँ परंपरा और प्रज्ञा का समन्वय होता है, और जहाँ ज्ञान का दीप प्रज्वलित होता है—मनीषियों के सम्मान और समाज के उत्थान हेतु। यह संस्था केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की चिरंतन यात्रा है।