प्रवासी चेतना
यह एक ऐसी पत्रिका है और यह खास प्रकार के ऐसे लेखकों का समूह है जो अपने सामाजिक, सांस्कृतिक और पत्रकारिता के दायित्वों का उचित प्रकार से निर्वहन करते हुए समाज में खासकर प्रवासियों में अद्भुत सद्भाव से और बड़े पाठक संख्या के साथ बनी हुई है।
इस पत्रिका की स्थापना लोकार्पण एवं इसके विस्तार में जिनका योगदान अविस्मरणीय रहा है उनमें आदरणीय विनोद तिवारी, पूर्व संपादक – माधुरी, आदरणीय विनोद टिबड़ेवाला, आदरणीय ओम व्यास, आदरणीया निशा सुमन जैन आदि गणमान्य का नाम उल्लेखनीय है।
लगभग डेढ़ दशक पहले शुरू की गई यह पत्रिका ‘प्रवासी चेतना’ आज पूरे देश में प्रवासियों में काफी लोकप्रिय है। पत्रिका का लक्ष्य भारतीय संस्कृति, सभ्यता, स्वास्थ्य, साहित्य व अध्यात्म के सही मूल्य, मापदंड व सही विवेचना को वैज्ञानिकता एवं तथ्यपूर्ण तरीके से पाठकों के बीच और समाज के सामने रखना है। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी, हमारे समाज का आने वाले युग अपनी संस्कृति को पूरी तरह समझते हुए इसे अच्छे बनाए रखें। वह अपने अतीत से, अपनी सांस्कृतिक शक्ति से तथा संस्कृति की परंपरागत प्रासंगिकता से विज्ञ रहें, अवगत रहें।