बिहार के अररिया में हुए निर्माणाधीन पुल हादसे को लेकर अजय राय का वक्तव्य
अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।
बहु प्रतिष्ठित नीट परीक्षा में पेपर लीक का मामला हो या गुजरात, बिहार आदि राज्य जहां भाजपा या इनके गठबंधन दल की सरकारें रहती हैं, वहां पुल हादसों का होना यह दर्शाता है कि भाजपा गठबंधन की सरकारों में कही न कहीं भ्रष्टाचार चरम पर है। गुजरात में भी इसी तरह एक भयावह पुल हदसा हुआ था, जिसमे सैकड़ों लोगों की जाने गई थीं। ठीक उसी तर्ज पर बिहार में भी पुल गिरने की घटना हुई है। आखिर देश की जनता यह जानना चाहता है कि बार-बार भाजपा गठबंधन वाली सरकारों में ही पुल क्यों गिरते हैं ? इसके पहले भी बिहार में कई बड़े पुल निर्माणाधीन अवस्था में गिर चुके हैं । इससे आशय यह निकलता है कि केंद्र और राज्य में भ्रष्टाचार ने अपनी जड़े बहुत गहरी बना ली है, जिसको मोदी जी की तथाकथित चौकीदारी और न खाऊंगा और न खाने दूंगा के नारे से भी डर नही लगता ।
बिहार के अररिया जिले के सिकटी में बकरा नदी के पररिया घाट पर बन रहा पुल डबल इंजन वाली सरकार के हाथों उद्घाटन के बिना ही धराशाही हो गया। बताया जा रहा है कि यह पुल 12 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा था। दुर्भाग्य की बात है यह है कि सूत्रों से जैसी प्रारंभिक सूचना मिल रही है उसके आधार पर यह मालूम चल रहा है कि एन डी ए शासित राज्यों में कमीशन की गारंटी खूब फल फूल रही है। अररिया पुल के बारे में बताया जा रहा है कि घटिया निर्माण सामग्री पुल गिरने की मुख्य वजह है, जोकि प्रधानमंत्री के न खाऊंगा और न खाने दूंगा के नारे की सच्चाई के रूप में देखा जा सकता है। मैं मांग करता हूं कि बिहार में पुल हादसे के साथ साथ इसके पहले भी विगत वर्षों में जितने भी पुल हादसे हुए हैं, उनकी जांच के लिए हाई कोर्ट के सिटिंग जज के नेतृत्व में एक न्यायिक कमेटी से कराए ताकि इस सच्चाई को बिहार समेत पूरे देश की जनता जान सके । इस पुल हादसे में जो भी कर्मचारी हताहत हुए हो उनके परिजनों को सरकार आर्थिक मदद दे ताकि वे अपना भरण पोषण कर सकें ।