रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक करें टिड्डियों के नियन्त्रण के लिए रसायनों का छिड़काव


अनिवार्य प्रश्न । संवाद


आजमगढ़। प्रदेश के जनपद झाँसी, ललितपुर एवं सोनभद्र में टिड्डी दल का आक्रमण हो चुका है तथा अन्य जिलों य अपने आजमगढ़ मण्डल में भी इसके आक्रमण की सम्भावना बनी हुई है। उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) आजमगढ़ मण्डल, आजमगढ़ गोपाल दास गुप्ता ने बताया कि इनका दल लाखों की संख्या में झुण्ड बनाकर चलता है, जिस क्षेत्र में इनका आक्रमण होता है, यहाँ का पूरा क्षेत्र फसलों को लेकर वीरान हो जाता है।

इन टिड्डियों का दल फसलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाता है। ये सभी फसलों एवं पेड़-पौधों की पत्तियों को खा जाते हैं। अपने औसत वजन दो ग्राम का दो गुना भोजन प्रतिदिन ग्रहण करती हैं। टिड्डियाँ हवा की गति व दिशा के अनुसार एक दिन में लगभग 100 से 150 किमी की दूरी तय कर लेती हैं। इनका दल प्रायः सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक किसी न किसी पेड़-पौधों पर आश्रय लेते हैं। गोपाल दास गुप्ता ने बताया कि आश्रय के समय फसलों को खाकर नष्ट भी कर देती हैं तथा एक मादा टिड्डी 500-1500 अण्डे देती है फिर सुबह उड़ जाती है।

उन्होने आगे कहा कि इनके नियन्त्रण के लिए निर्देशित रसायनों का छिड़काव रात्रि 8 बजे से सुबह 8 बजे तक करना चाहिए। यह ज्यादा ठीक रहता है। खेत की मेंडो पर पटाखे फोड़कर, थाली, ढोल, नगाड़े व टिन आदि बजाकर तेज आवाज करें, जिससे टिड्डी दल फसल में न बैठकर दूर चला जाये। क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत, ईसी 1200 मिली या लैम्डा सायहैलोभिन 5 प्रतिशत, ईसी की 400 मिली व मात्रा को 500 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर फसल में छिड़काव करें। 4 फेनबेलरेट 0.4 प्रतिशत या मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल की 20-25 किग्रा मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। टिड्डी दल के खेत में बैठने के उपरान्त खेत की जुताई अवश्य करा दें अथवा उसमें पानी भर दें ताकि टिड्डी द्वारा दिये गये अण्डे नष्ट हो जाये।

गोपाल दास गुप्ता ने नागरिकों से अपील किया है कि टिड्डी दल के प्रकोप होने की सूचना तत्काल अपने विकास खण्ड स्थित कृषि रक्षा इकाई के प्रभारी को दें। अथवा जनपद के जिला कृषि रक्षा अधिकारी या उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) आजमगढ़ मण्डल आजमगढ़ के मो0 नं0-7007855099 पर दें। कृषकों की हर प्रकार की सहायता की जाएगी।

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