बार बार स्वेच्छाचारिता करता पाया जा रहा है महाराजगंज का थानेदार
अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।
आजमगढ़। जिले के महाराजगंज थाने का थानेदार लगातार स्वेच्छाचारिता करते सुर्खियों में आ रहा है। यहां तक कि अब उसकी शिकायत जिलाधिकारी कार्यालय व पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक भी नगरवासी करने लगे हैं। प्रकाश में आए नए मामले में एक संविदा कर्मी पर उक्त थाना अंतर्गत गोरखपुर गांव के ग्राम प्रधान के द्वारा धमकाये जाने की शिकायत पर सनकी थानेदार ने उल्टे संविदा कर्मी पर ही दबाव बनाकर मामले को रफा-दफा करने के लिए कोशिश करने लगा। इससे पूर्व एक मामले में महाराजगंज थाने का थानाध्यक्ष पत्रकारों के साथ अभद्र आचरण करते पाया गया था।
संविदा कर्मी के पक्ष के अनुसार गांव में विद्युत कार्य हुआ था जिसके लिए बिजली के खंभे को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित कर लगाया जाना था। संविदा विद्युत कर्मी पंकज गौड़ के द्वारा लगाए गए आरोप के अनुसार ग्राम प्रधान ने बिजली कटौती के संबंध में तत्काल मरम्मत के लिए दबाव डाला एवं तुरंत ठीक करने के लिए अपशब्द कहते हुए गंदी-गंदी गालियों की बौछार की। साथ ही मारने की धमकी तक दिया। ऐसे में लाइनमैन ने अपना पक्ष रखने की कोशिश की लेकिन प्रधान आगबबूला होकर भड़कता रहा।
जब इसकी शिकायत संविदा कर्मी व संबंधित संगठन के लोग महाराजगंज थाने पर लेकर गए तो थानाप्रभारी ने दबंग प्रधान पर विधिक कार्यवाही करने की जगह शिकायतकर्ताओं को ही डांट कर भगा दिया। योगी राज में भी आजमगढ़ में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों का रवैया नहीं बदल रहा है। ऐसा लगता है आजमगढ़ के अधिकारियों की मानसिकता अभी भी नहीं बदल रही है।
उक्त घटना व सनकी थानेदार के रवैए को लेकर जब संविदा कर्मियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना दिया तो जिलाधिकारी से निर्देश हुआ कि पुलिस अधीक्षक के यहां शिकायत करें। उनके पास जाने पर पुलिस अधीक्षक अनुपस्थित मिले। आजमगढ़ की प्रशासनिक कहानी तो अब राम ही जाने लेकिन संविदा कर्मियों की मानहानि परेशानी का अभी जल्दी हल मिलते नहीं दिख रहा है।
ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यहां की स्थानीय प्रशासनिक विकृति को ध्यान में रखते हुए यहां के प्रशासनिक बागडोर को थोड़ा कड़ा करने की जरूरत है और यहां से निकम्मे कर्मचारियों को तत्काल दरबदर करने की जरूरत है। नागरिकों ने व संविदा कर्मियों ने बताया है की आजमगढ़ में आम आदमी के शिकायतों की सुनवाई बड़ी शिथिल हो गई है। अधिकारी जगह-जगह मनमाना कर रहे हैं। किसी थाना विशेष से बार-बार इस तरह की शिकायत आनी वहां के थाने पर लगातार हो रही घटनाओं के बारे में व भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। ऐसे थानेदार एक जगह कम ही दिन रह पाते हैं और जनता का विरोध प्रारंभ हो गया है। आने वाले समय में थानेदार पर कार्यवाहिओं की गाज गिर सकती है। खासकर योगीराज में तो ऐसा लोगों को लग ही रहा है। अनिवार्य प्रश्न यह है कि ऐसे अधिकारी कब तक अपने पदों पर बने रह सकते हैं और कब नपते हैं देखना बड़ा दिलचस्प होगा।