कलयुग में त्याग की मिसाल : बहन ने किडनी देकर बचायी भाई की जान
अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।
पत्नी ने कर दिया था इंकार तो हथेली पर जान लेकर बहन हुई तैयार
भाई की जान बचाने के लिए अपने पति से ले लिया तलाक
आजमगढ़। वैसे तो देश में भाई बहन के प्रेम के अनेक उदाहरण देखने और सुनने को मिलते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के सरायमीर कस्बे से मिसाल देने लायक भाई बहन के प्यार का एक ताजा उदाहरण सामने आया है। जिसमें एक बहन ने अपनी किडनी देकर अपने भाई की जान बचाई है।
उल्लेखनीय है कि जनपद के सरायमीर की रहने वाली महिला अनीता ने विगत दिनों अपने भाई की जान बचा कर उसे जीवन का सबसे बड़ा तोहफा दिया है। अनीता के भाई रमेश की दोनों किडनी ख़राब हो गयी थी। ऐसे में सभी रिश्तेदार और सात जन्मों तक साथ निभाने का वचन देने वाली पत्नी नीलम भी किडनी देने से मना कर दी थी।
आखिर में भाई की जान जाती देखकर बहन अनीता ने अपने जीवन की परवाह न करते हुए अपना घर और परिवार त्याग कर अपनी किडनी भाई को दान दे दिया। कहा जा रहा है कि इसके लिये उसे अपने पति से तलाक भी लेना पड़ गया।
स्थानीय लोगों व परिजनों का कहना है कि रमेश की तबीयत जब काफी बिगड़ने लगी तो उसने अस्पताल जाकर चेकअप करवाया। वहाँ पता चला कि उसका क्रेटीनिन 12 से ज्यादा है। निदान व इलाज के लिए अस्पताल में चिकित्सकों ने उसका डायलिसिस शुरू कर दिया। रमेश कई साल तक डायलिसिस पर रहा। इसी बीच रिश्ते में उसके जीजा तथा पेशे से समाज सेवी दीपक मौर्य ने भी उनकी काफी मदद की। वे लगातार रमेश का इलाज करवाते रहे, इसी दौरान जब डॉक्टरों ने दीपक मौर्य को बताया कि रमेश की दोनों किडनी पूरी तरह खराब हो गई है और रमेश को किडनी ट्रांसप्लाट करवाना पड़ेगा तो दीपक मौर्य की चिन्ता बढ़ गयी। उनके अनुसार फिर किडनी के डोनर की खोज का काम शुरु हुआ। लेकिन विपदा बड़ी थी। परीक्षा की घड़ी थी। समाज और परिवार सभी ने किडनी देने से मना कर दिया। दीपक मौर्य को बड़ी निराशा हुई। आखिर में भाई की जान बचाने के लिए त्याग की देवी बहन अनीता ने अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया। उसकी बजह से आज रमेश अपना जीवन सुखपूर्वक जी रहा है। कलयुग में बहन अनीता पर उसके भाई एवं समाज को बहुत गर्व है।