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INST scientists develop novel nano-cup based technology for cancer treatment

आईएनएसटी वैज्ञानिकों ने विकसित की कैंसर उपचार के लिए नैनो-कप आधारित नवीन तकनीक


अनिवार्य प्रश्न। संवाद।


नई दिल्लीI “नैनो तकनीक से अब कैंसर का इलाज और प्रभावी, सुरक्षित तथा सरल बनेगा”, यह कहना है पं. छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ का, जो वैज्ञानिक प्रगति को मानवता की सेवा में उपयोग करने की वकालत करते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत कार्यरत नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (INST), मोहाली के वैज्ञानिकों ने कैंसर के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली एक अत्याधुनिक तकनीक विकसित की है। इस तकनीक में शोधकर्ताओं ने एक सरल एक-चरणीय कोलाइडल संश्लेषण विधि तैयार की है, जिससे नैनो-कप आकार वाले पॉलीइथिलीन ग्लाइकॉल (PEG) लेपित सेमी-शेल्स (SS) बनाए जा सकते हैं।

यह खोज एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (ACTREC), टाटा मेमोरियल सेंटर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT-B) के सहयोग से की गई। यह शोध नेचर ग्रुप की ओपन एक्सेस पत्रिका Communication Chemistry में प्रकाशित हुआ है।

क्या है यह तकनीक?

पारंपरिक तौर पर नैनो-कप तैयार करने की प्रक्रिया जटिल, बहु-चरणीय और विषाक्त रसायनों पर आधारित होती थी। मगर INST के वैज्ञानिकों ने कमरे के तापमान पर एक सरल, सुरक्षित और पर्यावरण-संगत विधि प्रस्तुत की है, जिसमें ZIF-8 नामक बायोकम्पैटिबल मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (MOF) को बलिदान टेम्पलेट के रूप में इस्तेमाल किया गया है।

इस प्रक्रिया में एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन C) जैसे हल्के रिड्यूसिंग एजेंट का उपयोग कर ZIF-8 क्रिस्टलों को तराशा जाता है, जिसे ‘etching’ कहा जाता है। इसके स्थान पर सोने के नैनोकण विकसित होते हैं, जो अदृश्य निकट अवरक्त (NIR) खिड़की में प्रकाश का अत्यधिक अवशोषण करते हैं – यह विशेषता उन्हें फोटोथर्मल थेरेपी (PTT) के लिए अत्यंत उपयुक्त बनाती है।

क्या लाभ हैं?

PEG कोटिंग से ये SS न केवल रक्त संगत और जल-स्थिर बनते हैं, बल्कि क्रायोप्रिजर्वेशन, लंबी शेल्फ लाइफ, तथा अंतःशिरा प्रशासन में सुविधा भी प्रदान करते हैं।

इन SS ने इन-विट्रो तथा इन-विवो परीक्षणों में अपनी गैर विषाक्तता, उच्च फोटोथर्मल रूपांतरण दक्षता और चिकित्सकीय प्रभावशीलता सिद्ध की है। परीक्षणों में यह प्रक्रिया मेटास्टेटिक स्तन कैंसर ट्यूमर को नष्ट करने में सक्षम पाई गई, जिससे प्री-क्लिनिकल चूहों के मॉडल में जीवित रहने की दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और ट्यूमर की पुनरावृत्ति की संभावना में कमी देखी गई।

भविष्य की दिशा

शोधकर्ता अब इन सेमी शेल्स की मदद से कीमो-फोटोथर्मल थेरेपी तथा सरफेस-एन्हांस्ड रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (SERS) बायोसेंसिंग जैसे उन्नत बायोमेडिकल अनुप्रयोगों की संभावनाएं तलाश रहे हैं।

यह खोज न केवल कैंसर उपचार को कम खर्चीला, सरल और सुरक्षित बनाएगी, बल्कि भारत को नैनोचिकित्सा अनुसंधान के वैश्विक पटल पर भी नई ऊंचाई पर पहुंचाएगी।