मास्क पर करें हर्बल स्प्रे का छिड़काव, घुटन से बचें


अनिवार्य प्रश्न । संवाद


आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के आधार पर इस स्प्रे को किया गया है तैयार
इस इन्हैलर की तकनीक को व्यावसायिक उत्पादन के लिए हस्तांतरित करने की है संस्थान की योजना
ताकि बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन किया जा सके और इसे जरूरतमंदों तक पहुँचाया जा सके


लखनऊ। वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क के उपयोग पर काफी जोर दिया जा रहा है। पुलिस, डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को लंबे समय मास्क लगाना पड़ रहा है, जिससे उन्हें कई बार सांस लेने में घुटन महसूस हो रही है। ऐसे में भारतीय वैज्ञानिकों ने एक हर्बल डीकन्जेस्टैंट स्प्रे विकसित किया है, जो इस समस्या से निजात दिलाने में मददगार हो रहा है।

यह हर्बल डीकन्जेस्टैंट स्प्रेकिसीइन्हैलर की तरह काम करता है, जिसे नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया है। लखनऊ स्थित एनबीआरआई काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की एक प्रयोगशाला है, जिसे मुख्य रूप से वनस्पतियों पर किए जाने वाले उसके अनुसंधान कार्यों के लिए जाना जाता है। एनबीआरआई के इस हर्बल स्प्रे के शुरुआती नतीजे बेहद शानदार मिले हैं। देर तक मास्क पहनने वाले लोगों को इससे काफी राहत मिल रही है।

एनबीआरआई के मुख्य वैज्ञानिक डॉ शरद श्रीवास्तव ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “इस हर्बल डीकन्जेस्टैंट स्प्रे को औषधीय और सगंध पौधों से तैयार किया गया है और इसका उपयोग पूरी तरह से सुरक्षित है। जिन पादप तत्वों का उपयोग इस स्प्रे में किया गया है, उनके नाम का खुलासा बौद्धिक संपदा संबंधी कारणों से अभी नहीं किया जा सकता। इसे सिर्फ एक बार मास्क पर स्प्रे करना होता है। स्प्रे करने के बाद मास्क का उपयोग करने पर नासिका और श्वसन तंत्र खुल जाता है और फिर सांस लेने में परेशानी नहीं होती।”

इस स्प्रे को आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के आधार पर तैयार किया गया है। संस्थान की योजना इस इन्हैलर की तकनीक को व्यावसायिक उत्पादन के लिए हस्तांतरित करने की है, ताकि बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन किया जा सके और इसे जरूरतमंदों तक पहुँचाया जा सके।

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