संकटकाल में छंटनी के मामलों से निपटने के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम में लाएं लचीलापन : केन्द्रीय श्रमिक संगठनों का सुझाव


अनिवार्य प्रश्न । संवाद


श्रमिक संगठनों के साथ बैठक के बाद श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने कर्मचारी संगठनों के साथ की वेबिनार आयोजित


दिल्ली। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के चलते पैदा हुए हालात पर चर्चा और कामगारों तथा अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए रणनीतियां बनाने व नीतिगत पहल करने के लिए सामाजिक भागीदारों के साथ विचार विमर्श किया है। मंत्रालय 01.05.2020 को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर केंद्रीय ट्रेड यूनियंस और कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वेबिनार भी कर चुका है। इसके अलावा 6 मई, 2020 को सीटीयू के प्रतिनिधियों के साथ एक अन्य वेबिनार भी की जा चुकी है। इस प्रक्रिया को जारी रखते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने आज नई दिल्ली में अपने कार्यालय से कर्मचारी संगठनों के साथ एक वेबिनार में भाग लिया। वेबिनार के दौरान इन मुद्दों पर विचार किया गया-(प) कोविड-19 को देखते हुए कर्मचारियों और प्रवासी कामगारों के हितों की रक्षा, (रोजगार पैदा करने के उपाय, आर्थिक गतिविधियों को पुनः शुरू करने के लिए उठाए जाने वाले कदम और एमएसएमई के लिए स्थितियों में सुधार के उपाय जिससे वे श्रम कानूनों के अंतर्गत अपने दायित्वों को पूरा करने में सक्षम हों। वेबिनार में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

केन्द्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में कोविड-19 के दौरान कामगारों की समस्याओं को दूर करने के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में बताया, जिनमें ईएसआईसी और ईपीएफ के प्रावधानों में लचीलापन, देश भर में नियंत्रण केन्द्रोंध्हेल्पलाइनों की स्थापना आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय उद्योग की आवश्यकताओं के प्रति सहानुभूति रखता है और उद्योग के पुनरुद्धार के लिए हर संभव सहायता देने तथा अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने की कोशिश करेगा। उन्होंने कहा कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय उद्योग विशेषकर एमएसएमई सेक्टर को हो रही समस्याओं के समाधान के लिए अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ परामर्श कर रहा है। उन्होंने कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से ऐसे उपाय सुझाने का अनुरोध किया, जिन पर वर्तमान परिस्थितियों से निपटने के लिए अमल किया जा सके और सभी हितधारकों के हितों की रक्षा की जा सके।

कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा जो सुझाव दिए गए उसमें लॉकडाउन अवधि के दौरान छंटनी के मामलों से निपटने के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम के प्रावधानों में लचीलापनय लाया जाना, उद्योग को होने वाली दिक्कतों और तरलता के संकट को देखते हुए कामगारों को दिए जाने वाले वाले वेतन को सीएसआर कोष के अंतर्गत कवर किया जाना, वस्तु एवं सेवाओँ को पर्याप्त स्तर तक बढ़ाने को स्वीकृति देने के लिए उद्योग को खुलने के बाद कार्यबल की अधिकतम सीमा को 33 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 50 प्रतिशत किया जाना, पीएमजीकेवाई की शर्त से छूट देना जिसमें योजना के अंतर्गत ऐसे ही उद्यमों को कवर करने की बात कही गई है जिनके 90 प्रतिशत या उससे ज्यादा कर्मचारी 15,000 रुपये से कम वेतन ले रहे हैं, जिससे योजना के अंतर्गत ज्यादा कर्मचारियों को कवर किया जाना, न्यूनतम वेतन, बोनस और सांविधिक बकायों जैसे प्रावधानों को छोड़कर अगले 2-3 साल के लिए श्रम कानूनों का निलंबन, जिससे उद्योग को वर्तमान संकट से उबरने में सहायता मिल सके ऐसा अनुबंध किया जाना, कामकाजी घंटों को बढ़ाकर प्रति दिन 12 घंटे किया जाना, उद्योग को उचित पैकेज उपलब्ध कराना ( जिससे कारोबार में स्थायित्व आए और रोजगार के अवसरों में किसी प्रकार की कमी न हो), उद्योग को सब्सिडी वाली दरों पर बिजली की आपूर्ति किया जाना, प्रवासी कामगारों की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। इन प्रवासी कामगारों को वापस काम पर लाने को कोविड-19 से जुड़ी उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए एक परामर्श कार्यक्रम तैयार किया जाना, उनके परिवहन के लिए वित्तीय सहायता, लगभग छह महीने तक मुफ्त किराना आदि सुविधाओं का दिया जाना, प्रवासी कामगारों का एक डाटाबैंक तैयार किया जाए। असंगठित क्षेत्र के कामगारों और दिहाड़ी मजदूरों की सहायता के लिए एक राष्ट्रीय महामारी कोष तैयार किया जाना, कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों पर सामाजिक सुरक्षा लागत में कमी किया जाना, कामगारों और वस्तुओं की आवाजाही को आसान बनाने के लिए रेड, ऑरेंज और ग्रीन जैसे विभिन्न जोन के बजाय सिर्फ नियंत्रण (कॉन्टेनमेंट) क्षेत्र और गैर नियंत्रण क्षेत्र जैसे जोन होने चाहिए। गैर नियंत्रण क्षेत्रों में सभी गतिविधियों को अनुमति का लागू करना आदि का उल्लेख प्रमुख है।

चर्चा का समापन करते हुए श्रम सचिव ने सुझाव देने के लिए कर्मचारी संगठनों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि अब उद्योग के पुनरुद्धार और अर्थव्यवस्था को खोलने पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए और रोजगार के अवसर पैदा हों। उन्होंने भरोसा दिलाया कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय उद्योग को हो रही कोई भी समस्या के लिए हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने और कामगारों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

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