आरक्षण और संविधान विरोधी, नरेन्द्र मोदी -पी. एल. पुनिया
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वाराणसी। प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए पूर्व सांसद पी0एल0 पुनिया ने कहा कि केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कदम रखते ही दलितों, वंचितों, शोषितों का शोषण प्रारंभ कर दिया था, जो इस बात का संकेत था कि भविष्य के भारत में भाजपा अपने प्रचंण्ड बहुमत का दुरूपयोग कर बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेड़कर जी द्वारा रचित संविधान पर आक्रमण करेगी और वह होते हुए दिखाई भी दे रहा है। उन्होंने कहा कि 2014 में सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने किसानों की भूमि के उचित मुआवजा कानून पर आक्रमण किया था फिर बाद में किसानों की आमदनी हड़पने के कृषि के क्रूर काले कानून लाने का दुस्साहस किया। अर्थात सरकार का यह आक्रमण देश के 17341000 अनुसूचित जाति, 12669000 अनुसूचित जनजाति और 7 करोड़ से अधिक ओबीसी वर्ग के किसान परिवारों पर था।
अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष पीएल पुनिया ने कहा की भाजपा – आरएसएस की सोच और नियत और डीएनए में दलित और पिछड़ों के प्रति नफरत है , इसको इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ की वेबसाइट पर उनका लेख ही आरक्षण के खिलाफ है, उन्होंने जिस तरीके से अपने लेख में दलित और पिछड़ों के प्रति विरोध भावना दर्शाते हुए आरक्षण के प्रति अपने विरोध के स्वर लिपि बद्ध किए हैं, यह दर्शाता है कि यह जब-जब सत्ता में आएंगे तो इससे दलित समाज के जो अधिकार हैं जो आरक्षण है वह समाप्त होगा , यह लोकसभा का चुनाव ही सबसे महत्वपूर्ण समय है, जनता और इस देश के दलित पिछड़े भाजपा को सत्ता से बाहर करने जा रही है ।
पूर्व चेयरमैन राष्ट्रीय अनूसूचित जाति जनजाति आयोग पुनिया ने कहा कि मोदी सरकार ने दूसरा बड़ा आक्रमण सार्वजनिक उपक्रमों को बेंच कर प्रारंभ किया है। क्योंकि मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि सार्वजनिक उपक्रमों को बेंचने के बाद एससी/एसटी और ओबीसी का आरक्षण निजी क्षेत्र में बरकरार नहीं रखा जा सकता। सेन्ट्रल पब्लिक सेक्टर इन्टर प्राइजेज में लगभग 10 लाख 31 हजार कर्मचारी काम करते हैं जिनमें एससी के 1.81 लाख तथा एसटी के 1.02 लाख और ओबीसी के 1.97 लाख अर्थात कुल 4.80 लाख सेन्ट्रल पब्लिक सेक्टर इन्टर प्राइजेज के कर्मचारियों का आरक्षण इन पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को बेंचने के बाद समाप्त हो जायेगा।
पुनिया ने कहा कि लगातार शासकीय नौकरियों में आउटसोर्सिंग का खेल खेलकर मोदी सरकार आरक्षण पर प्रहार कर रही है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री अंनत हेगडे़, लल्लू सिंह, ज्योति र्मिधा जैसे कई नेता कह रहे हैं कि मोदी जी को 400 सीटें संविधान बदलने के लिए चाहिए। मोदी जी के वर्तमान मित्रों के कई पुराने वीडिया भी समाने आये हैं जिसमें वह जातिगत आरक्षण को समाप्त करने की बात कह रहे हैं। इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख भी आरक्षण की व्यवस्था पर पुर्नविचार करने की बात कह चुके हैं। मोदी सरकार के धन्नासेठ 1600 करोड़ रूपये प्रतिदिन कमा रहे हैं और 80 प्रतिशत एससी/एसटी, तथा ओबीसी के किसान 27 रूपये प्रतिदिन पा रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी ने 2011 में सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था। इस जातिगत जनगणना कराने का जिम्मा शहरी और ग्रामीण विकास मंत्रालय को सौपा गया था। इसमें मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस और मिनिस्ट्री ऑफ ट्राईबल अफेयरस को इसकी नोडल मिनिस्ट्री बनाया गया था। उस जातिगत जनगणना को पूर्ण किया गया था जिसमें 130 करोड़ लोगों का रिकार्ड था उस रिकार्ड को हजारों एक्सल शाीट में रजिस्टार सेंसेश को सौप दिया गया था। जिसमें राज्यवार, जिलेवार और घरवार जातिगत आकडे़ मौजूद थे। वह आकडे़ जारी किये जाते तब तक कांग्रेस पार्टी की सरकार चली गई थी। पी.एल पुनिया ने कहा कि मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही उस जातिगत जनगणना के मूल्यांकन के लिए नीति आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष अरविन्द पनागरिया की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि तक ना तो उस कमेटी के कोई सदस्य बनाये गये और ना ही कमेटी ने आज तक कोई भी मीटिंग की।
पुनिया ने कहा कि मोदी सरकार ने महाराष्ट्र बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और बिहार के केस में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में यह ‘‘शपथ पत्र’’ दिया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद-246 के 7 शेडयूल की एन्ट्री 69 में और सेंसेस एक्ट 1948 में जनगणना कराना केन्द्र सरकार का अधिकार है, राज्य जातिगत जनगणना नहीं करा सकते इस तरह से मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना के खिलाफ अपनी मंशा का इजहार कर दिया।
पी.एल.पुनिया ने कहा कि हमारी जनगणना 2021 में हो जानी थी मगर कोविड का हवाला देकर मोदी सरकार लगातार जनगणना से भागती रही। जबकि विश्व के सभी देशों ने कोविड के बाद अपनी जनगणना करा ली। मोदी सरकार नहीं चाहती थी कि चुनाव के पहले वह जनगणना कराये नही ंतो उसे जातिगत जनगणना करानी पड़ती। मोदी सरकार ने देश में अंतिम पंक्ति में खडे़ लोगों के साथ बहुत बड़ा षडयंत्र किया है। पुनिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सत्ता में आते ही जातिगत जनगणना करायेगी। मनरेगा की मजदूरी प्रतिदिन 400 रूपये दी जायेगी। और समर्थन मूल्य का कानूनी अधिकार लेकर आयेगी। प्रेस वार्ता में अनूसूचित जाति जनजाति आयोग के पूर्व चेयरमैन पी. एल पुनिया के साथ उत्तर प्रदेश कांग्रेस के मीडिया चेयरमैन पूर्व मंत्री डा सी. पी. रॉय, प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी, प्रवक्ता प्रो.अमर नाथ पासवान, प्रवक्ता राहुल राजभर, प्रवक्ता शैलेंद्र सिंह, और जिला कांग्रेस प्रवक्ता नृपेंद्र नारायण सिंह उपस्थित रहे ।