आज के भयंकर बाजारु माहौल में बच्चों को भावनात्मक सहयोग दे रही चाइल्ड लाइन कानपुर
अनिवार्य प्रश्न । संवाद
कानपुर। जून माह 2020 में चाइल्ड लाइन से 1741 बच्चों ने मांगी थी जिसमें उसने 1695 बच्चों तक मदद पहुचाई है। चाइल्ड लाइन कानपुर ने 28 बच्चों की शोषण से सुरक्षा 1 बच्चे को भावनात्मक सहयोग प्रदान करने के साथ ही 8 बच्चों को उनके परिजनों से मिलाया भी है।
कानपुर नगर में बच्चों की आकस्मिक मदद के लिए संचालित चाइल्ड लाइन कानपुर द्वारा मुसीबत में फंसे बच्चों की निरंतर मदद की जा रही है जिस क्रम में कोविड-19 महामारी के कारण चाइल्डलाइन कानपुर के पास जनसामान्य की 12 सौ से अधिक कॉल आई जिसमें माँग के अनुसार 1164 बच्चों को खाने की मदद पहुंचाई गई। 28 बच्चों की शोषण से सुरक्षा प्रदान की गई व एक बच्चे को भावनात्मक सहयोग प्रदान किया गया। साथ ही रेलवे चाइल्ड लाइन कानपुर के पास जन सामान्य की 500 से अधिक कालें आई जिनमें 531 बच्चों को खाने-पीने की चीजों की मदद दी गई व 8 बच्चे जो कि अपने परिजनों से बिछड़ गए थे उनको परिजनों से मिलाया गया।
उल्लेखनीय है कि मुसीबत में फंसे एवं जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए 24 घंटे निशुल्क आपत्कालीन राष्ट्रीय स्तर की फोन सेवा चाइल्ड लाइन 1098 का संचालन कानपुर नगर में किया जा रहा है जो कि चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन एवं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित एवं कानपुर शहर में जिलाधिकारी कानपुर नगर की अध्यक्षता में गठित चाइल्डलाइन सलाहकार बोर्ड के विपक्ष निर्देश पर बाल सेवी संस्था सुभाष चिल्ड्रन सोसायटी के द्वारा चाइल्ड लाइन 1098 का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
चाइल्डलाइन कानपुर के निदेशक कमल कांत तिवारी ने पत्रकारों के लिए जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि चाइल्ड लाइन कानपुर द्वारा लॉकडाउन से लेकर वर्तमान समय तक जन सामान्य की सभी कालों पर भोजन वितरित करने के साथ-साथ करोना वायरस के फैलने के बारे में बताया जा रहा है कि यह बीमारी सिर्फ खांसी और छींक के जरिए लोगों में फैल सकती है, इनका मतलब यह वायरस बहुत आसानी से किसी को भी संक्रमित कर सकता है, इसके अलावा यह वायरस मुंह के लार के जरिए निकट संपर्क या फिर बर्तन शेयर करने से भी फैल सकता है, क्योंकि यह फेफड़ों को संक्रमित करता है, इसलिए सांस खींचते वक्त मुंह से निकलने वाली बूंदें भी सामने वाले को संक्रमित कर सकती हैं। मास्क लगाकर एवं थोड़ी सतर्कता पूर्वक फिजिकल डिस्टेसिंग अपनाकर इससे बचा जा सकता है।