हरित शवदाहगृह, ‘एयर पॉल्यूशन कंट्रोल सिस्टम फॉर क्रिमटोरिया’ की चार चिताओं का हुआ उद्घाटन
अनिवार्य प्रश्न । संवाद
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज कहा, “शवदाह गृहों के आसपास के क्षेत्रों में पार्टिकुलेट मैटर के संबंध में वायु उत्सर्जन और अन्य हानिकारक गैसों के अत्यधिक संकेंद्रण का आकलन किया गया है। शवदाहगृहों से उच्च स्थानीयकृत विषाक्त उत्सर्जन से निपटने के लिए, सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग शोध संस्थान (एनईईआरआई) ने एक तकनीक तैयार की है, जो हरित शवदाहगृह की खुली चिताओं से होने वाले प्रदूषण को घटाने में सक्षम है।”
मंत्री दिल्ली के निगम बोध घाट श्मशान में हरित शवदाहगृह की चार चिताओं का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड की ओर से संचालित तीन नई चिताओं का भी उद्घाटन किया।
डॉ. हर्षवर्धन ने रेखांकित किया, “नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के मुताबिक 120 से अधिक शहरों के गैर-प्राप्ति श्रेणी (नॉन-अटैनमेंट कैटेगरी) के तहत आने के साथ भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है।” उन्होंने बताया, “हाल ही में घोषित आम बजट 2021 में, भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण से जुड़ी समस्या से निपटने के लिए संसाधन आवंटित करने पर काफी जोर दिया गया है।”
दिल्ली में लगभग 56 पारंपरिक श्मशान घाट हैं, जहां पर हिंदू खुले में लकड़ी को जलाकर शवों का अंतिम संस्कार करते हैं, जिससे आसमान में काले धुएं के बादल उठते हैं। वीआईपी चिता 3,4,5,6 में स्थापित तकनीक में धुंए के एकत्रण, हैंडलिंग (संभालना), प्रोसेसिंग/क्लीनिंग, जनोपयोगी सेवाएं और कचरा निपटाने की व्यवस्थाएं शामिल हैं। इस प्रणाली में एक कुशल स्क्रबिंग सिस्टम भी शामिल है जो खुरचकर हटाए गए तरल और ठोस अवशेषों को आसानी से रिसाइकल करने और निपटाने के साथ-साथ धुंआ, तेल/ग्रीस, हाइड्रोकार्बन और पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन भी घटाता है।