World's first 'Nano Urea (Liquid) Plant' launched

विश्व के पहले ‘नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र’ का लोकार्पण


अनिवार्य प्रश्न। संवाद।


नई दिल्ली। श्री मोदी ने आज गुजरात की राजधानी गांधीनगर में ‘सहकार से समृद्धि’ सम्मेलन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इफ़्को की कलोल इकाई में विश्व के पहले ‘नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र’ का लोकार्पण भी किया।  इस अवसर पर अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि देश में लंबे समय से सहकारिता क्षेत्र से जुड़े लोगों की एक मांग थी कि केन्द्र सरकार में सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक क्रांतिकारी क़दम उठाते हुए पहले सहकारिता मंत्रालय की रचना की। ये क़दम आने वाले सौ साल तक सहकारिता आंदोलन को नया जीवन देने और प्राण फूंकने वाला है। मंत्रालय बनने के साथ ही इस साल के बजट में कई क़दम उठाए गए। देश की सहकारी चीनी मिलों की कई सालों से एक समस्या थी कि ज़्यादा मुनाफ़ा किसानों को अंतरित करने पर कर लगता था। इस बजट में मोदी जी ने उस व्यवस्था को समाप्त कर किसानों को 8,000 करोड़ रूपए से ज़्यादा का फ़ायदा पहुँचाया है। इसके अलावा सहकारिता की सभी इकाईयों पर लगने वाले सरचार्ज को 12 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया। क्रेडिट गारंटी फ़ंड ट्रस्ट के तहत सहकारी बैंकों को मान्यता नहीं थी, लेकिन भारत सरकार ने ये निर्णय लिया कि क्रेडिट गारंटी फ़ंड की जितनी भी योजनाएं हैं उन्हें सहकारी बैंकों के माध्यम से भी नीचे तक पहुंचाया जा सकेगा।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत सरकार और नाबार्ड मिलकर देशभर के 65,000 से ज़्यादा पैक्स (PACS) के कम्प्यूटराईज़ेशन का काम करने वाले हैं। नई सहकार नीति बनाने के लिए भी भारत सरकार ने सुझाव मांगे हैं और सरकार पैक्स को बहुद्देशीय बनाने के लिए भी काम कर रही है।  श्री शाह ने कहा कि आज शुरू हो रहे नैनो यूरिया तरल फॉर्म के बहुत सारे फायदे हैं। इससे हमारी भूमि, पानी और हवा प्रदूषित नहीं होगी, किसानों का स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहेगा और इसे साथ ले जाना बहुत आसान होगा जिससे किसी प्रकार के ट्रांसपोर्टेशन की जरूरत भी नहीं होगी और बहुत सारा श्रम भी बचेगा। उन्होने कहा कि गुजरात का सहकारिता आंदोलन देशभर में सहकारिता के लिए सफल मॉडल माना जाता है और गुजरात ने सहकारिता की आत्मा को बचाए रखने का काम किया है। देश में बहुत कम राज्य ऐसे हैं जहां पैक्स से लेकर ऐपैक्स तक सहकारिता अच्छे तरीक़े, सिद्धांतो के अनुरूप और पारदर्शिता के साथ चलती हो, उनमें गुजरात शामिल है। आज़ादी के समय से स्वदेशी और स्वावलंबन के दो स्तंभों के आधार पर सरदार पटेल और मोरारजी देसाई ने गांधीजी के नेतृत्व में सहकारिता आंदोलन की शुरूआत की और बाद में त्रिभुवनदास पटेल और बैकुंठभाई मेहता से लेकर अनेक कार्यकर्ता इसके साथ जुड़ते गए।

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