प्रकृति कुछ तो कहती है:
कविता: कब से करती तुम्हे इशारा कल कल करती गंग की धारा क्यूं दूषित मुझको करते हो? मैंने ही तो तुझको तारा। तेरे पूर्वज जब तड़प रहे थे मोक्ष की … Read More
कविता: कब से करती तुम्हे इशारा कल कल करती गंग की धारा क्यूं दूषित मुझको करते हो? मैंने ही तो तुझको तारा। तेरे पूर्वज जब तड़प रहे थे मोक्ष की … Read More