Ayurveda students got the right to surgery, but why did the opposition to the advocates of modern medicine, Dr. Chadha?

आयुर्वेद के छात्रों को मिला सर्जरी का अधिकार, पर माॅडर्न चिकित्सा के पैरोकार डाक्टर चड्ढाओं का विरोध क्यों?


अनिवार्य प्रश्न। संवाद


वाराणसी। भारत की सरकार द्वारा अभी हाल ही में आयुर्वेद के परास्नातक के छात्रों को आंख, कान, नाक, गला एवं दांत के ऑपरेशन (शल्य) के प्रशिक्षण की स्वीकृति दी है। प्रशिक्षण की स्वीकृति के बाद अब आधुनिक (मॉडर्न) चिकित्सा पद्धति और उसके पैरोकारों द्वारा इस फैसले की आलोचना शुरू कर दी गयी है। आयुर्वेद के छात्रों एवं वाराणसी के एक युवा कवि और आयुर्वेद के विद्यार्थी आकाश उपाध्याय का कहना है कि पूरी दुनियां में सबसे प्राचीन चिकित्सा विज्ञान हमारी भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ही है। आचार्य सुश्रुत ने काशी (जो वर्तमान में वाराणसी है) में आज से 2500 वर्ष पूर्व सर्जरी का पहला विश्विद्यालय खोला था। यह वह समय था जब दुनियाभर के लोग केले के पत्ते से शरीर ढकना सीख रहे थे। तब धरती पर कई देशों का इतिहास भी नहीं शुरू हुआ था। दुनियां की सारी चिकित्सा पद्धति सिर्फ एक पैथी मात्र है, वहीं आयुर्वेद एक मात्र ऐसा चिकित्सकीय विज्ञान है जिसके पीछे वेद शब्द जुड़ा हुआ है।

उस प्राचीनकाल में भी भारत के आचार्य सुश्रुत ने आंख कान और मोतियाबिंद के ऑपरेशन की सही कला खोज ली थी। वो सर्जरी के 132 उपकरणों द्वारा नागरिकों का सफल इलाज भी कर रहे थे। उनकी वह सफलता प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व की बात है। लेकिन आज एलोपैथी से जुड़े वर्ग द्वारा इस फैसले का विरोध करना हमारी सोच से बिल्कुल परे ही नहीं निंदनीय भी है। अपने ही देश की प्राचीन चिकित्सा पद्धति का निहित स्वार्थ में विरोध करना और उसे कमतर आंकना बिल्कुल ही घृणास्पद है। कोरोना के इस विकट काल में पूरी दुनियां ने आयुर्वेद की महत्ता और सम्पूर्णता को माना है। साथ ही इसी नवम्बर में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आयुर्वेद की महत्ता को स्वीकार किया है।

शब्द उपाध्याय का कहना है कि आयुर्वेद के द्वारा शल्य चिकित्सा के पितामह महर्षि सुश्रुत ने सबसे पहले 300 तरह के ऑपरेशन की प्रक्रिया की खोज की थी। ‘‘द रॉयल ऑस्ट्रेलिया कॉलेज ऑफ सर्जन्स’’ के प्रवेश द्वार पर आचार्य सुश्रुत की प्रतिमा लगी हुई है, और वहां पर भी सुश्रुत जी को शल्य चिकित्सा का पितामह माना जाता है। आज भी देश के 100 से ज्यादा ऐसे आयुर्वेदिक संस्थान है जहां पर आयुर्वेद के द्वारा ही प्रतिदिन सैकड़ों सफल सर्जरी होती है। मॉडर्न साइंस की बहुत सी किताबें ऐसी हैं जिसमें पूरी तरह यह स्वीकार भी किया जाता है कि आयुर्वेद से ही सर्जरी की उत्पत्ति हुई है।

आयुर्वेद के छात्र व कवि शब्द कहते हैं कि-

‘‘चिकित्सा का आधुनिक ज्ञान बस इंसान लिखता है,
आयुर्वेद वह विज्ञान जिसे भगवान लिखता है।
कहो तुम छद्म या फिर नीम और हकीम हमको, पर,
चिकित्सा का सदा इतिहास हिंदुस्तान लिखता है।’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *