प्रदेश में शराब बंदी के लिए धीरे-धीरे जोर पकड़ता विरोध
अनिवार्य प्रश्न । ब्यूरो संवाद
काफी समय से जगह-जगह रैलीयाँ निकाल कर प्रदेश भर में शराब बिक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की उठती रही है मांग
वाराणसी। काफी समय से देखने को मिल रहा है कि जगह-जगह रैलीयाँ निकाल कर प्रदेश भर में शराब बिक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की मांग उठती रही है। लोगों को लगता रहा है कि आदित्यनाथ योगी के मुख्यमंत्री रहते हुए यह हो सकता है। लेकिन अभी तक इसके आसार नहीं दिख रहे हैं। राज्य में पूर्ण शराब बंदी की माँग को लेकर विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कनकपुर गाँव में सैकड़ों महिलाएं सड़क पर उतर गई। एक स्थानीय संगठन लोक समिति के द्वारा आयोजित इस विरोध कार्यक्रम में शराब बंदी को लेकर मार्च निकाला गया।
कनकपुर और उसके आसपास के गाँवों से आई महिलाओं ने शराब बिक्री के खिलाफ गाँव में जोरदार रैली निकालकर अपना विरोध मुखर किया। ‘‘शराब पीना बंद करो, शराब बेचना बंद करो, शराब ही समाज को खोखला कर रही है’’ जैसे नारों के बैनर व तख्ती लिए हुए महिलाएं मार्च निकालीं और सरकार तथा मुख्यमंत्री योगी को आईना दिखाईं।
एक स्वयंसेवी समूह किशोरी की संयोजिका सोनी ने शराब को समाज की बुराई बताकर बिहार और गुजरात की भांति इसे पूरे प्रदेश में बंद करने की मांग की। एक महिला समाज सेवी अनीता पटेल ने कहा कि आज समाज के ज्यादातर लोग शराब के नशे में डूब चुके हैं और इस कुलत का खामियाजा महिलाओं को भुगतना पडता है। महिलाओं के ऊपर होने वाली घरेलू हिंसा, उनका उत्पीड़न, बलात्कार, मारपीट आदि के लिए कारण सिर्फ शराब है।
मार्च के दौरान सभा में महिला समूह के नन्दलाल मास्टर ने कहा कि शरीर मे जैसे कुष्ठ रोग शरीर को बेकार कर देता है, उसी प्रकार शराब समाज को भी कुष्ठ रोग की भांति खराब कर रही है। हमारी सरकार बाकी राज्यों की तरह जनता के भले के लिए इसे बंद करे। सभा के आखिर में महिलाओं ने यह फैसला लिया कि गांव-गाँव में शराब के खिलाफ अभियान चलाया जायेगा।
शराब विरोधी अभियान में मुख्य रूप से अनीता, सोनी, आशा, मुन्नी, कुमारी, लालमनी, संगीता, दुर्गावती, प्रेमा, फुलपत्ती, सुनील, शिवकुमार सहित आम नागरिकों के परिवारों से सैकड़ों लोग शामिल हुए। विरोध व धरने का नेतृत्व अनीता पटेल ने किया। संचालन सोन व अध्यक्षता आशा देवी ने किया।
प्रदेश भर में आए दिन हो रहे और जोर पकड़ते जा रहे ऐसे आन्दोलन के बाद भी सरकार अपने राजस्व का मोह छोड़ नहीं पा रही है। इस सरकार में नागरिकों द्वारा यह आशा की जा रही है कि अब योगी राज में पापी शराब से छुटकारा मिल जाएगी।