Anivarya Prashna Web Bainer New 2025
Starlink in India: A new step towards the internet revolution

भारत में स्टारलिंक: इंटरनेट क्रांति की ओर एक नया कदम


अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।


नई दिल्ली । स्पेसएक्स (SpaceX) की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा, स्टारलिंक (Starlink), भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की तैयारी कर रही है। एलन मस्क के नेतृत्व वाली इस कंपनी का लक्ष्य है कि दुनिया के उन इलाकों तक इंटरनेट की पहुंच बनाई जाए, जहां पारंपरिक टेलीकॉम कंपनियां अपनी सेवाएं नहीं दे पातीं।
भारत जैसे बड़े और विविधता से भरे देश में, जहां अभी भी कई ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी सीमित है, वहां स्टारलिंक के सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट को गेम चेंजर माना जा रहा है। सरकार ने इस सेवा को लेकर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है, लेकिन कंपनी को भारत में काम करने के लिए सरकार की मंजूरी का इंतजार है।
आइए जानते हैं स्टारलिंक क्या है, यह भारत में कैसे काम करेगी और सरकार ने इस पर क्या रुख अपनाया है।

क्या है स्टारलिंक?
स्टारलिंक स्पेसएक्स द्वारा संचालित एक सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य पूरी दुनिया में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराना है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक केबल या फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क नहीं पहुंच पाते।
स्टारलिंक का संचालन पूरी तरह से लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स के नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। एलन मस्क के स्पेसएक्स ने इस परियोजना की शुरुआत 2015 में की थी, और अब तक करीब 5000 से ज्यादा सैटेलाइट्स लॉन्च किए जा चुके हैं। इनका मुख्य उद्देश्य ऐसे दुर्गम इलाकों में इंटरनेट सेवा देना है, जहां ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंच पाना मुश्किल होता है।

स्टारलिंक के प्रमुख फायदे:
हाई-स्पीड इंटरनेट – 100 Mbps से 250 Mbps तक की स्पीड मिलने की उम्मीद। ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट उपलब्धता – पहाड़ों, रेगिस्तान, और सुदूर गांवों तक इंटरनेट पहुंचाना। कम लेटेंसी – केवल 20-40 मिलीसेकंड की लेटेंसी, जो गेमिंग और वीडियो कॉलिंग के लिए उपयुक्त है। तेज़ और आसान सेटअप – ग्राहक खुद ही घर पर स्टारलिंक डिश और राउटर इंस्टॉल कर सकते हैं। पारंपरिक ब्रॉडबैंड नेटवर्क की जरूरत नहीं – बिजली के स्रोत और खुला आसमान ही काफी है।
भारत में स्टारलिंक की एंट्री और चुनौतियां
स्टारलिंक ने 2021 में भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की योजना बनाई थी और 5,000 से अधिक प्री-बुकिंग भी हो गई थी। लेकिन भारत सरकार ने कंपनी को बिना लाइसेंस के काम करने की अनुमति नहीं दी और स्टारलिंक की वेबसाइट से प्री-बुकिंग ऑप्शन हटा दिया गया।
भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि स्टारलिंक को देश में सेवाएं शुरू करने के लिए लाइसेंस लेना होगा, और तब तक कोई भी ग्राहक इसकी सेवाओं के लिए बुकिंग न करे। दिसंबर 2021 में, भारतीय दूरसंचार विभाग (DoT) ने स्टारलिंक को नोटिस भेजकर कहा कि वह भारत में किसी भी तरह की सेवा देने या बुकिंग लेने से पहले लाइसेंस प्राप्त करे।

स्टारलिंक की भारत में योजनाएं और बाजार पर असर
एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक की योजना भारत के ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा देने की है। देश के कई हिस्सों में अब भी इंटरनेट की सुविधा कमजोर है, विशेषकर पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों के सुदूर इलाकों में ब्रॉडबैंड सेवाएं सुचारू रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
स्टारलिंक सैटेलाइट कनेक्टिविटी के जरिए इंटरनेट प्रदान करेगी, जिससे सुदूर गांवों, स्कूलों, अस्पतालों, सरकारी कार्यालयों, और व्यापारिक केंद्रों तक भी तेज़ गति का इंटरनेट पहुंचेगा। यह योजना डिजिटल इंडिया मिशन को भी मजबूती दे सकती है और ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, डिजिटल बैंकिंग और स्मार्ट सिटी जैसी योजनाओं को और सशक्त बना सकती है।

भारत में स्टारलिंक की चुनौतियां
स्टारलिंक के भारत में विस्तार के लिए कई बड़ी चुनौतियां हैं, जो इस कंपनी के संचालन को मुश्किल बना सकती हैं। पाकिस्तान की तरह ही भारत में भी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए सरकारी मंजूरी जरूरी होती है। हालांकि, स्टारलिंक को अब तक भारत में ऑपरेट करने का लाइसेंस नहीं मिला।
दिसंबर 2021 में भारत सरकार ने लोगों को स्टारलिंक की सेवाओं को बुक करने से मना कर दिया था, क्योंकि उस समय तक कंपनी के पास लाइसेंस नहीं था। इसके बाद, स्टारलिंक ने भारतीय टेलीकॉम विभाग से लाइसेंस लेने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन अभी भी इस पर फैसला नहीं हुआ है।

सरकार की सतर्कता और जियो-एयरटेल का दबाव
स्टारलिंक के भारत में आने से स्थानीय टेलीकॉम कंपनियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। खासकर रिलायंस जियो और एयरटेल जैसी कंपनियों ने सरकार से अपील की है कि सभी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिए समान नियम लागू किए जाएं। उनका मानना है कि यदि स्टारलिंक को बिना उचित प्रक्रिया पूरी किए काम करने की अनुमति मिलती है, तो यह एक गलत मिसाल बनेगी।
इस मामले में सरकार भी सतर्क है, क्योंकि स्टारलिंक के अमेरिकी कंपनी होने के चलते सुरक्षा चिंताएं भी हैं। भारत सरकार चाहती है कि स्टारलिंक पहले ट्रायल रन करे, सुरक्षा प्रमाणपत्र हासिल करे और स्थानीय कानूनों का पूरी तरह पालन करे।

स्टारलिंक की संभावनाएं और भारत के इंटरनेट बाजार पर प्रभाव
अगर स्टारलिंक को भारत में ऑपरेट करने की अनुमति मिलती है, तो यह निश्चित रूप से इंटरनेट क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। भारत का ग्रामीण क्षेत्र अभी भी इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसे में स्टारलिंक इस गैप को भर सकता है और डिजिटल इंडिया अभियान को नया आयाम दे सकता है।
स्टारलिंक की सेवा शुरुआत में थोड़ी महंगी हो सकती है, लेकिन जैसे-जैसे तकनीक बढ़ेगी और ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च होंगे, इंटरनेट सेवा सस्ती होने की संभावना है। टेलीकॉम कंपनियों के लिए यह बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि स्टारलिंक बिना टावर लगाए ही देश के हर कोने में इंटरनेट सेवा पहुंचाने का वादा कर रहा है। स्टारलिंक की भारत में एंट्री देश के दूरस्थ इलाकों के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकती है। लेकिन सरकार को इसमें कई सुरक्षा और कानूनी पहलुओं का ध्यान रखना होगा।

आगे का रास्ता: क्या भारत में मिलेगी मंजूरी?
स्टारलिंक के भारत में आने से दूरदराज के क्षेत्रों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंच सकता है, लेकिन यह स्थानीय टेलीकॉम कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती भी बन सकता है। Airtel, Jio और अन्य टेलीकॉम कंपनियों ने पहले ही इस पर आपत्ति जताई है और सरकार से सुनिश्चित करने को कहा है कि विदेशी कंपनियां स्थानीय नियमों का उल्लंघन न करें।
दूसरी ओर, सरकार भी इस विषय पर सतर्कता बरत रही है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी (TRAI) और संचार मंत्रालय इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक स्टारलिंक को भारत में ऑपरेट करने की आधिकारिक अनुमति नहीं मिली है।

क्या हैं स्टारलिंक की भारत में योजनाएं?
स्टारलिंक का उद्देश्य गांवों और दूरदराज़ के इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाना है। पाकिस्तान और भारत के कई ग्रामीण इलाकों में अब भी इंटरनेट की उचित सुविधा नहीं है, ऐसे में स्टारलिंक एक नए युग की शुरुआत कर सकता है। स्टारलिंक का लक्ष्य 2 लाख से अधिक इंटरनेट टर्मिनल स्थापित करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ती इंटरनेट सेवा प्रदान करने का उद्देश्य। स्पेसएक्स ने 100 लोगों से प्री-बुकिंग भी ली थी, लेकिन लाइसेंस न मिलने के कारण सेवा शुरू नहीं हो सकी। भारत सरकार ने फिलहाल लाइसेंस जारी करने पर विचार नहीं किया है, लेकिन लगातार स्टारलिंक के साथ बातचीत जारी है।


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *