Anivarya Prashna Web Bainer New 2025
18th Mumbai International Film Festival bids farewell, promises even more beautiful comeback

18वें मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव को शानदार विदाई, और भी सुंदर वापसी का वादा


अनिवार्य प्रश्न। संवाद।


मुंबई। के आइकॉनिक स्‍काईलाइन की टिमटिमाती रोशनी में डॉक्‍यूमेंट्री, शॉर्ट फिक्‍शन और एनीमेशन फिल्मों के लिए 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) का समापन हुआ। इसने सिनेमाई कलात्मकता की चमक के साथ सपनों के इस शहर को रोशन कर दिया और कभी न सोने वाला यह शहर कहानी सुनाने के अंदाज और रचनात्मकता की प्रतिध्‍वनि से गूंज उठा। महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की मौजूदगी में आयोजित एक शानदार समापन समारोह के साथ यह महोत्‍सव अपने चरम पर पहुंच गया। इस महोत्सव की शानदार सफलता और गैर-फीचर सिनेमा के करामाती जादू का जश्न मनाने के लिए फिल्म एवं मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियां, फिल्म निर्माता और कई दिग्गज एकत्र हुए। इनमें शेखर सुमन, शाजी एन. करुण, सुब्बैया नल्लामुथु, पूनम ढिल्लों, छाया कदम, एमी बरुआ, अक्षय ओबेरॉय और विशाल आदि शामिल थे।

महाराष्ट्र सरकार के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि हमारे फिल्म निर्माता हमारे देश के कोहिनूर हैं। उन्होंने कहा, जब हम आगे बढ़ेंगे, तो हमारी विरासत और हमारी फिल्मों से संबंधित हर मामला आगे बढ़ेगा। यहां बैठे लोगों की क्षमता ऐसी है कि वे अपनी कला के जरिये हमारी आत्मा की गहराई तक पहुंच सकते हैं। वे उन गहराइयों तक पहुंच सकते हैं जहां डॉक्टर भी नहीं पहुंच सकते। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव को एक नए नजरिये से और आने वाले वर्षों में अपनी क्षमता बढ़ाने की प्रतिबद्धता के साथ अलविदा करें। मंत्री ने इस प्रतिष्ठित माध्यम के जरिये प्रतिभाशाली फिल्म निर्माताओं को प्रोत्‍साहित करने के प्रयासों के लिए भारत सरकार को भी बधाई दी। उन्‍होंने फिल्मों की बदलावकारी ताकत पर प्रकाश डालते हुए कहा, श्फिल्म समाज का दर्पण है और वह सामाजिक बदलाव का मार्ग प्रशस्त करती है। इस क्षेत्र का महज एक संवाद भी किसी व्यक्ति के जीवन को बदल सकता है।

मुनगंटीवार ने फिल्मों की बहुमुखी भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, फिल्में न केवल मनोरंजन का स्रोत हैं, बल्कि व्यक्तित्व का विकास करने वाली ताकत भी हैं। जब व्यक्तित्व का विकास होता है, तो समाज विकसित होता है और जब समाज विकसित होता है, तो राष्ट्र विकसित होता है। उन्होंने सभी को फिल्म के जरिये एकजुट होकर हमारे देश के गौरव को दुनिया के हर घर और हर दिल तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी आह्वान के साथ उन्‍होंने अपना वक्‍तव्‍य समाप्‍त किया। प्रतिस्पर्धी फिल्मों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के विचारों को साझा करते हुए निर्णायक मंडल की अध्यक्ष भरत बाला ने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों की दुनिया भर की कहानियों से प्रेरित हैं। ये कहानियां मानवता और परिवार को हमारे जीवन के केंद्र में रखती हैं और इसलिए आज भी लोगों को बेहतर बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने कहा, सभी डॉक्‍यूमेंट्री में बुनियादी तौर पर मानवता और उस संस्‍कृति को दर्शाती जाती है जिसमें हम रहते हैं और सांस लेते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हम सब डॉक्‍यूमेंट्री में अधिक से अधिक निवेश करेंगे ताकि मानवता को बढ़ावा मिल सके।

मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव के राष्ट्रीय निर्णायक मंडल की अध्यक्ष भारतीय निर्माता अपूर्वा बख्शी ने कहा कि निर्णायक मंडल को भारत के विभिन्न हिस्सों से उभरने वाली दमदार, गंभीर और मार्मिक कहानियों को देखने का अवसर मिला। उन्होंने कहा, देखने के अनुभव का मुख्य आकर्षण यह था कि विभिन्न फिल्म निर्माताओं ने किस प्रकार पितृसत्तात्‍म ढांचे को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और पुरुष संबंधों को एक ऐसे मार्मिक नजरिये से चित्रित किया जिसे शायद ही कभी देखा गया हो।

‘द गोल्डन थ्रेड’ के लिए गोल्डन कोंच पुरस्कार
इस महोत्सव की सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी में प्रतिष्ठित गोल्डन कोंच पुरस्कार निष्ठा जैन द्वारा निर्देशित भारतीय फिल्म ‘द गोल्डन थ्रेड’ को दिया गया। कोलकाता में जूट के काम के ताने-बाने को दर्शाती यह फिल्म आर्थिक बदलाव से प्रभावित औद्योगिक क्रांति के अंतिम अवशेषों के प्रति श्रद्धांजलि और अवलोकन दोनों है। निर्णायक मंडल ने कहा कि यह फिल्म मनुष्य और मशीन के रिश्ते को दर्शाती है। साथ ही यह उस समीकरण पर सवाल उठाती है जिसके तहत पूंजीवाद मनुष्य को केवल उसके श्रम के आधार पर महत्व देता है। इसमें शानदार कल्पना और ध्वनि के साथ एक सुंदर कहानी का तानाबाना बुना गया है जो डॉक्‍यूमेंट्री फिल्म निर्माण की आकर्षक प्रकृति को रेखांकित करती है। इस पुरस्कार में प्रमाण पत्र और 10 लाख रुपये नकद शामिल है। महोत्सव के समापन फिल्म के रूप में भी ‘द गोल्डन थ्रेड’ दिखाई गई।

इस महोत्‍सव में उपस्थित लोगों को अल्फोंस रॉय, नेमिल शाह, शाजी एन. करुण, ऑड्रियस स्टोनिस, संतोष सिवन और सुब्बैया नल्लामुथु जैसे प्रसिद्ध फिल्म निर्माताओं द्वारा मास्टरक्लास भी दी गई। इन सत्रों ने फिल्म निर्माण की कला में अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की, जिससे महत्वाकांक्षी और स्थापित फिल्म निर्माताओं के ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि हुई। मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव 2024 की पैनल परिचर्चाओं में डॉक्‍यूमेंट्री, शॉर्ट फिक्‍शन और एनीमेशन फिल्म निर्माण से संबंधित समकालीन और नवोन्‍मेषी विषयों पर गहन चर्चा की गई। प्रतिनिधियों ने फिल्म निर्माण, प्रचार और वितरण के नए पहलुओं की खोज की। इससे उद्योग में उभरते रुझान के बारे में उनकी समझ बेहतर हुई। इसके अलावा, वार्नर ब्रदर्स के एक वरिष्ठ एनिमेटर के नेतृत्व में एनीमेशन और वीएफएक्स पाइपलाइन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जो अत्याधुनिक तकनीकों की गहन खोज से प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

भारतीय डॉक्यूमेंट्री निर्माता संघ द्वारा आयोजित ओपन फोरम ने डॉक्यूमेंट्री फंडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के इस दौर में फिल्म निर्माण जैसे महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर आकर्षक और गर्मजोशी से भरी चर्चा आयोजित की। इन मंचों ने पेशेवरों को उद्योग के सामने आने वाली मौजूदा चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा करने और अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए एक डायनेमिक जगह उपलब्‍ध कराया। मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव 2024 ने वैश्विक सिनेमाई आदान-प्रदान, रचनात्मकता को बढ़ावा देने, सहयोग करने और दुनिया भर से कहानी बयां करने की विविध परंपराओं का जश्न मनाने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में एक बार फिर अपनी स्थिति मजबूत की है।