How mandatory is the survey of madrasas in UP

यूपी में मदरसों का सर्वे कितना अनिवार्य


अनिवार्य प्रश्न। कार्यालय संवाद।


महीने के जाते-जाते उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया एक फैसला काफी चर्चा में है। जिसमें उत्तर प्रदेश में शिक्षा सेवा में लगे हुए मदरसों के सर्वेक्षण एवं उनके दशा दिशा की जानकारी इकट्ठा कर शीघ्र ही सरकार को सौंपने का आदेश हुआ है।

प्रदेश सरकार ने राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वे कराने का फैसला लिया है। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने मीडिया को बताया कि राज्य सरकार ने मदरसों में छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के सिलसिले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के मुताबिक, प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का फैसला किया है,  इसे जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।

पूरा प्रदेश का प्रशासन अब मदरसों के सर्वेक्षण व उनके क्रियाकलाप को जानने में कमेटी गठित कर लग गया है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आदेश क्यों और किस लिए आया था। आदेश कितना सही है पक्ष में बहुत सारे समाज शास्त्रियों का मानना है कि अपराध की शरण मदरसे रहे हैं, कुछ मानते रहे हैं कि मदरसों से अपराध का जन्म होता है। देशभर के आंकड़ों को देखा जाए तो जितनी भी चोरी छिनैती, तस्करी व स्मगलिंग के अपराधी पुलिस की पकड़ आते हैं उसमें बहुत खासी मात्रा में इस्लाम से जुड़े होते हैं। इस्लाम में बलिप्रथा आज भी मौजूद होने के कारण कहा जाता है कि धर्म में क्रूरता अधिक है एवं मदरसे क्रूरता सिखाते हैं।
ऐसे में स्लामिक नेेताओं का सरकार पर आरोप है कि मदरसों में क्या सिखाया जा रहा है और उनकी अपनी शिक्षा पद्धति व प्रणाली का असली मतलब क्या है यह सरकार जांचने की कोशिश कर रही है। हालांकि सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए साफ-साफ कह दिया है कि मदरसों को दिया जाने वाला अनुदान और उससे की जाने वाली सेवाओं की समीक्षा के लिए एवं अनुदान और बढ़ाने के लिए हम मदरसों की हकीकत व उनकी दशा जान रहे हैं।


क्या क्या किया जायेगा सर्वे


राज्य मंत्री ने बताया कि इस सर्वे में मदरसे का नाम, उसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा निजी या किराए के भवन में चल रहा है इसकी जानकारी, मदरसे में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, पेयजल, फर्नीचर, बिजली की सप्लाई तथा शौचालय की व्यवस्था, टीचर्स की संख्या, मदरसे में लागू करिकुलम, मदरसे की इनकम का सोर्स और किसी गैर सरकारी संस्था से मदरसे की संबद्धता से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी।


प्रदेश में 16000 से ज्यादा हैं मदरसे


पत्रकारों द्वारा सरकार द्वारा इस सर्वे का मकसद पूछने पर मंत्री ने कहा कि अभी सरकार का मकसद सिर्फ गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा करना है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में कुल 16,461 मदरसे हैं, जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान दिया जाता है। हां लेकिन प्रदेश में पिछले छह साल से एक भी नए मदरसों को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया गया है।


इस्लामिक नेताओं का पक्ष


इस्लामिक नेताओं का मानना है कि सरकार जब मदरसों को फंड नहीं देती तो उनकी जानकारी और उनकी क्रियाकलाप की जानकारी इकट्ठा कर क्या करेगी निश्चित तौर पर यह सरकार इस्लामिक शिक्षा को बंद करना चाहती है और वह इस्लाम के ऊपर अनेक तरह के प्रतिबंध के बाद एक और प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है जो कि पूरी तरह गलत है।


सरकारी पक्ष


अंसारी ने बताया कि अब सहायता प्राप्त मदरसों के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के एप्लिकेशन पर संबंधित मदरसे के प्रबंधकों की सहमति और राज्य मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार के अप्रूवल से उनका ट्रांसरफर किया जा सकेगा। अब मदरसों में कार्यरत महिला कर्मचारियों को माध्यमिक शिक्षा विभाग और बेसिक शिक्षा विभाग में लागू नियमों के अनुरूप मातृत्व अवकाश और बाल्य देखभाल अवकाश भी मिलेगा।